Azerbaijan vs Armenia: चीन-ताइवान तनातनी के बीच दुनिया के ये दो देश क्यों लड़ रहे जंग? जानिए पूरा मामला

आर्मेनिया के रक्षा मंत्रालय ने अजरबैजान के दो सैनिकों की मौत की पुष्टि की है। इस जंग में अब तक 19 सैनिक आर्मेनिया के घायल हो गए हैं। इनमें से चार की हालत बेहद गंभीर है।

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Azerbaijan vs Armenia: चीन-ताइवान तनातनी के बीच दुनिया के ये दो देश क्यों कर रहे जंग? जानिए पूरा मामला
Azerbaijan vs Armenia: चीन-ताइवान तनातनी के बीच दुनिया के ये दो देश क्यों कर रहे जंग? जानिए पूरा मामला

Azerbaijan vs Armenia: इस समय पूरी दुनिया की नजरें चीन-ताइवान पर टिकी हैं। एक ओर जहां चीन ओर ताइवान के बीच विवाद सुलझने के बजाय बिगड़ता ही जा रहा है। वहीं, यह आशंका तेज हो गई है कि क्या चीन और ताइवान के बीच युद्ध होने वाला है? वहीं, दूसरी ओर अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच जंग शुरू हो गई है। दोनों देशों के बीच विवाद पुराना है जो अब फिर उभर गया है।

अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि उन्होंने नागोर्नो-काराबाख की कई पहाड़ियों पर अपना कब्जा कर लिया है। अजरबैजान का कहना है कि ये तनाव तब शुरू हुआ जब आर्मेनिया के सैनिकों ने विवादित क्षेत्र में तैनात उनके कई सिपाहियों को मार गिराया। बता दें कि इसी इलाके में रूस के शांति सैनिक भी तैनात हैं।

Azerbaijan vs Armenia: चीन-ताइवान तनातनी के बीच दुनिया के ये दो देश क्यों कर रहे जंग? जानिए पूरा मामला
Azerbaijan vs Armenia

आर्मेनिया के रक्षा मंत्रालय ने अजरबैजान के दो सैनिकों की मौत की पुष्टि की है। इस जंग में अब तक 19 सैनिक आर्मेनिया के घायल हो गए हैं। इनमें से चार की हालत बेहद गंभीर है। इलाके में तैनात रूस के शांति सैनिकों ने अजरबैजान के सिपाहियों द्वारा 3 बार संघर्ष विराम उल्लंघन करने की जानकारी दी है।

Azerbaijan vs Armenia: पहाड़ी इलाके को हथियाने के लिए लड़ाई

दोनों देशों के बीच तीन साल के संघर्ष के बाद रूस ने दखल दिया और 1994 में सीजफायर हुआ। मौजूदा समय में इलाका अजरबैजान के हिस्से में है, लेकिन यहां आर्मेनिया के लोग रहते हैं। ऐसे में आर्मेनिया की सेना ने इसे अपने कब्जे में ले लिया है। तकरीबन 4 हजार वर्ग किलोमीटर का पूरा पहाड़ी इलाका है। जहां लगातार तनाव की स्थिति बनी हुई है। गौरतलब है कि दोनों देशों ने बॉर्डर से सटे इलाके में अपने-अपने सैनिकों की संख्या काफी बढ़ा दी है।

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Azerbaijan vs Armenia: क्यों लड़ रहे हैं आर्मेनिया और अजरबैजान

आर्मेनिया और अजरबैजान दोनों ही पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा रह चुके हैं। नागोर्नो-काराबाख के इलाके को लेकर दोनों 1980 के दशक में और 1990 के दशक के शुरुआती दौर में संघर्ष कर चुके हैं। दोनों ने युद्धविराम की घोषणा भी की थी, लेकिन कभी इस पर सहमत नहीं हो पाए।

दक्षिण-पूर्वी यूरोप में पड़ने वाली कॉकेशस के इलाक़े की पहाड़ियां रणनीतिक तौर पर बेहद अहम मानी जाती हैं। सदियों से इलाके की मुसलमान और ईसाई ताकतें इन पर अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहती रही हैं।

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1920 के दशक में जब सोवियत संघ बना तो अभी के ये दोनों देश आर्मीनिया और अजरबैजान उसका हिस्सा बन गए। ये सोवियत गणतंत्र कहलाते थे। नागोर्नो-काराबाख की ज्यादातर आबादी आर्मेनिया की है, लेकिन सोवियत अधिकारियों ने उसे अजरबैजान के हवाले कर दिया।

इसके बाद सालों से नागोर्नो-काराबाख के लोगों ने इलाका आर्मेनिया को सौंपने की अपील की। मगर इस पर असल विवाद 1980 के दशक में शुरू हुआ जब सोवियत संघ का विघटन शुरू हुआ और नागोर्नो-काराबाख की संसद ने आधिकारिक तौर पर खुद को आर्मीनिया का हिस्सा बनाने के लिए वोट किया।

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