भोजपुर पुलिस एनकाउंटर में सीबीआई कोर्ट ने सोमवार को अपना फैसला दिया। कोर्ट ने एनकाउंटर के 20 साल बाद फैसला सुनाया है। सीबीआई कोर्ट के न्यायधीश राजेश चौधरी ने इस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए 4 पुलिसकर्मियों को हत्या के आरोप में दोषी करार दिया है। 8 नवंबर 1996 में मोदीनगर के भोजपुर पुलिस ने चार लोगों को एनकाउंटर मारने का दावा किया था।

नौकरी और मजदूरी करने वाले युवक जलालुद्दीन, प्रवेश, जसवीर और अशोक को पुलिस ने प्रमोशन पाने के लिए फर्जी एनकाउंटर किया  था। मृतकों के परिजनों ने इसे फर्जी बताते हुए विरोध किया और सीबीआई जांच की मांग भी की थी। 2001 को सीबीआई की चार्जशाट में तत्कालीन भोजपुर एसओ लाल सिंह, एसआई जोगेंद्र, कांस्टेबल सुभाष, सूर्यभान और रणवीर को आईपीसी की धारा 302,149,193 और 201 के तहत आरोपी बनाया था। जबकि रणवीर की मृत्यु पहले हो चुकी है। फिलहाल मामले की तत्कालीन एएसपी आईपीएस ज्योति वैलूर अभी फरार हैं, कोर्ट ने उनके नाम पर गैरजमानती वारंट जारी कर दिया है। ज्योति अभी इंग्लैंड में रहती हैं सीबीआई उन्हें वापस लाने के लिए कोशिश कर रही है।

जाने कब क्या हुआ था?
08 नवंबर 1996- चार युवकों को एनकाउंटर में मार गिराने का दावा किया गया।
01 फरवरी 1997- सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की।
07 अप्रैल 1997- सीबीआई को केस की जांच सौंपी गई।
27 अप्रैल 2004- आरोपी पुलिसकर्मी रणवीर की मृत्यु।
10 सितंबर 2001- सीबीआई ने कोर्ट में चार्जशीट पेश की।
20 फरवरी 2017- चार पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया गया।

जांच में फोरेंसिक रिपोर्ट से पता चला था कि जसवीर को लगने वाली गोली ज्योति वैलूर की सर्विस रिवॉल्वर से चली थी। इस मामले में कोर्ट ने सीआरपीसी की 319 धारा के तहत ज्योति को नवंबर 2007 में तलब किया था, लेकिन वह कोर्ट में पेश नहीं हुईं थी। सीबीआई के अनुसार, वह 2012 में आईपीएस के पद से इस्तीफा दे चुकी है। कोर्ट ने सजा पर बहस की तारीख 22 फरवरी तय की है।

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