बोफोर्स तोप फिर गूंजेगी लेकिन इस बार ये गूंज कानूनी और सियासत से जुड़ी होगी। सीबीआई ने शुक्रवार (2 फरवरी) को सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका दाखिल कर दी जिसमें हिंदुजा बंधुओं आरोपों से बरी कर दिया गया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने ये फैसला 31 मई 2005 को दिया था। सीबीआई ने फैसले को 13 साल बाद चुनौती दी है।

खास बात ये है कि सीबीआई ने ये याचिका सरकार के सबसे बड़े कानून अधिकारी यानी अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल की सलाह के उलट दाखिल की है। अटॉर्नी जनरल ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि सीबीआई को चुनौती नहीं देनी चाहिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट उसकी याचिका को खारिज कर सकता है। उनका तर्क था कि सीबीआई के पास 13 साल की देरी के लिए कोई वाजिब वजह नहीं है। सीबीआई का कहना है कि उसके पास नए सबूत हैं।

इस मामले में एडवोकेट अजय अग्रवाल ने भी हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने 18 अक्तूबर, 2005 को अजय अग्रवाल की  याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार किया था। पिछले महीने की 16 तारीख को सुप्रीम कोर्ट ने अजय अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई के दौरान सवाल उठाया था कि जब जांच एजेंसी ने अपील नहीं की तो किसी और की अपील पर सुनवाई कैसे हो सकती है?

इस मामले में गुरुवार को अजय अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलाफनामा दाखिल कर आरोप लगाया कि पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल और दूसरे कांग्रेस के नेता प्रधान न्यायाधीश पर दबाव डाल रहे हैं। इससे पहले उन्होंने एक याचिका दाखिल कर मांग की थी कि इस मामले की सुनवाई से प्रधान न्यायाधीश को अलग रखा जाए। 1986 में 1437 करोड़ रुपये के बोफोर्स तोप घोटाले में भारतीय अधिकारियों को 64 करोड़ रुपये घूस देने का आरोप है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here