देवभूमी उत्तराखंड में रोजाना की तरह रविवार को सुबह हुई लेकिन वो सुबह 11 बजे प्रलय में बदल गयी। चमोली के जोशीमठ में स्थित नंदा देवी ग्लेशियर टूट गया। ग्लेशियर का बड़ा हिस्सा धौलीगंगा नदी में जा गिरा जिसके बाद चारो तरफ तबाही का मंजर है। हादसा इतना भयान था कि, ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट पूरी तरह से नष्ट हो गया है। स्थानिय लोगों के अनुसार ग्लेशियर टूटने की आवाज 25 किलोमीटर तक सुनाई पड़ी थी।

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ग्लेशियर टूटने के कारण 10 सालों से चल रहा ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट जिसे तपोवन प्रोजेक्ट भी कहते हैं पूरी तरह से बर्बाद हो गया है। इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे 50 मजदूर बह गए हैं। 15 लोगों का शव मिला हैं। वहीं 175 लोग गायब हैं। खबर है कि लखनऊ के लखीमपुर खीरी से 50 मजदूर गायब हैं। ये लोग चमोली में मजदूरी करने गए थे।

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लापता लोगों की तलाश अब भी जारी है तो केंद्रीय सुरक्षा बल बचाव कार्य में लगे हुए हैं।संवेदनशील हिमालय में ऐसे हादसे हर बार कुछ सबक़ देकर जाते हैं। इस हादसे ने 2013 के केदारनाथ हादसे की झलक दिखलाने का काम किया है।

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इलाके के पास के गांव पानी में बह गए हैं। तपोवन की सुरंग में कई मजदूरों के फंसे होने की आशंका है। 300 मीटर लंबी सुरंग के भीतर से लोगों को निकाला जा रहा है। अबतक 12 लोगों को निकाला गया है। 100 मीटर अंदर रेस्क्यू टीम पहुंच गई है।

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सुदंर और हरा भरा चमोली अब कीचड़ में बदल गया है। आईटीबीपी की टीम कीचड़ हटाने का काम कर रही है। सुरंग के भीतर कीचड़ ही कीचड़ भर गया है। इस प्रलय ने पुल, बांध और इंसान को अपने साथ मिला लिया है। ग्रामिणों की बकरियां, भेड़ तक बह गई हैं।

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ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट बीते 10 सालों से चल रहा था और इससे बिजली का उत्पादन किया जा रहा था। यह सरकारी नहीं बल्कि निजी क्षेत्र की परियोजना थी। प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए इस प्रोजेक्ट के निर्माण के दौरान भी इसका खूब विरोध हुआ था। पर्यावरण के लिए काम करने वाले लोगों ने इसे खतरनाक बताया था।

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राज्य में हालात अभी सामान्य हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड हादसे में मारे गए पीड़ित परिवारों को 2-2 लाख मुआवजा देने का ऐलान किया है। वहीं घायलों को 50-50 हजार की सहायता राशी दी जाएगी। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने भी मतृक के परिजनों को 4-4 लाख हर्जाना देने का वादा किया है।

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बचाव और राहत कार्य के लिए आईएएफ की तरफ से तीन हेलिकॉप्टर जिनमें दो Mi-17 और एक ALH ध्रुव को देहरादून में तैनात किया गया। इन पर बाढ़ प्रभावित इलाकों में बचाव कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई।

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तपोवन प्लांट के पास टनल में करीब 37 लोग फंसे हैं, जिन्हें निकालने के लिए युद्ध स्तर पर काम हो रहा है। पुलिस के मुताबिक, अभी तक 202 लोग लापता हैं और कुल 19 शव बरामद हुए हैं।

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सोमवार सुबह से ही उत्तराखंड में वायुसेना रेसक्यू ऑपरेशन में जुटी है। यहां पर MI और चिनूक की ओर से लगातार काम किया जा रहा है। इसके अलावा देहरादून से भी जोशीमठ के लिए जवानों को भेजा जा रहा है।

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