ICICI बैंक की CEO चंदा कोचर ने बैंक की ओर से उनके इस्तीफे को लेकर ‘हैरानी और निराशा जताई है। बैंक ने श्रीकृष्ण समिति द्वारा की गई स्वतंत्र जांच की रिपोर्ट मिलने के बाद यह फैसला किया है। बैंक निदेशक मंडल ने इसके साथ ही 2009 से कोचर को दिए गए बोनस को वापस लेने के लिए कहा है।

एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक चंदा कोचर को बैंक को करीब 350 करोड़ रुपए की रकम चुकानी पड़ सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक कोचर को ईसॉप के जरिए वित्त वर्ष 2009 से करीब 342 करोड़ रुपए मिले। वहीं 10 करोड़ रुपए का बोनस भी मिला

कोचर ने कहा कि उन्होंने पूरी ‘मेहनत और निष्ठा’ के साथ 34 साल तक आईसीआईसीआई समूह की सेवा की है और बैंक के ताजा फैसले से उन्हें ‘बहुत दुख और तकलीफ’ पहुंची है। बैंक में कर्ज देने का कोई भी निर्णय एकतरफा नहीं होता है। बैंक ने पूरी प्रक्रिया और प्रणाली स्थापित की है, जिसमें एक समिति आधारित सामूहिक निर्णय लिया जाता है।

आईसीआईसीआई बैंक की तरफ से कल कहा गया कि कोचर के इस्तीफे को उनकी ‘गंभीर गलतियों के लिये बर्खास्तगी’ के तौर पर लिया जाएगा। इससे पहले बैंक ने कोचर को वीडियोकॉन ऋण मामले में क्लीनचिट दी थी।

आईसीआईसीआई बैंक की स्वतंत्र जांच की यह रिपोर्ट ऐसे समय सामने आई है जब कुछ समय पहले ही सीबीआई ने वीडियोकॉन समूह को 3,250 करोड़ रुपये का ऋण देने के मामले में एक-दूसरे को फायदा पहुंचाने के आरोप में कोचर और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी एन श्रीकृष्णा की अध्यक्षता वाली स्वतंत्र जांच समिति ने पाया कि कोचर ने बैंक की नीतियों तथा अन्य नियमों का उल्लंघन किया है। समिति के निष्कर्षों के आधार पर आईसीआईसीआई बैंक के निदेशक मंडल ने इस मामले में ‘आगे की जरूरी कार्रवाई करने की सलाह दी है’।

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