Right to Privacy: कॉल रिकॉर्ड करना पड़ सकता है महंगा, जानिए हाईकोर्ट का बड़ा फैसला…

Right to Privacy: आजकल हर दूसरा शख्स अपने स्मार्टफोन में कॉल रिकॉर्डिंग रखता है। ये आदत आपको भी है तो सावधान हो जाएं वरना कभी भी मुश्किल में फंस सकते हैं।

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call recording legal or illegal
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Right to Privacy: डिजिटल हो चुकी दुनिया के इस दौर में ऐसी तमाम तकनीक इंसान की जिंदगी को आसान बनाने का काम कर रही हैं, जिनके बारे आज से कुछ साल पहले सोचा भी नहीं जाता था। इसी बीच ये तकनीकीकरण अपने साथ कुछ जटिलताएं भी लेकर आया है जिसकी ओर ध्यान देना और सतर्क रहना भी उतना ही जरूरी है। हाल ही में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने फैसले में एक ऐसी बात कह दी है जो आपके लिए जानना बेहद जरूरी है। आजकल कॉल रिकॉर्डिंग का चलन है। हर दूसरा शख्स अपने स्मार्टफोन में कॉल रिकॉर्डिंग से जुड़े एप्लिकेशन रखता है। अगर आपको भी ये आदत है तो अभी सावधान हो जाएं नहीं तो कभी भी मुश्किल में फंस सकते हैं।

दरअसल, हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के उस फैसले की जिसमें कहा गया है कि बिना किसी शख़्स की अनुमति के उसकी बातचीत रिकॉर्ड करना ‘निजता के अधिकार’ (Right to Privacy) का उल्लंघन है। हाईकोर्ट में एक मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस राकेश मोहन पांडे ने कहा कि संबंधित व्यक्ति की अनुमति के बिना उसकी बातचीत रिकॉर्ड करना संविधान के अनुच्छेद 21 का का उल्लंघन है।

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Chhattisgarh High Court on Right to Privacy

Right to Privacy: जानें पूरा मामला…

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट गुजारा भत्ता से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रहा था। इस केस में फैमिली कोर्ट ने पति को अपनी पत्नी से बातचीत की रिकॉर्डिंग साक्ष्य के तौर पर पेश करने की इजाजत दी थी। हाईकोर्ट ने महासमुंद के फैमिली कोर्ट का आदेश निरस्त कर दिया। दरअसल, याचिकाकर्ता (पत्नी) ने पति से गुजारा भत्ता के लिए साल 2019 में महासमुंद के परिवार न्यायालय में आवेदन दाखिल किया था और इससे संबंधित तमाम सबूत अदालत में पेश किया था।

तो इसलिए पत्नी की रिकॉर्डिंग सुनना चाहता था पति…

प्रतिवादी (पति) ने याचिकाकर्ता (पत्नी) के चरित्र पर संदेह के आधार पर गुजारा भत्ता देने से मना कर दिया था। उसने परिवार न्यायालय के समक्ष एक आवेदन दाखिल किया और कहा कि याचिकाकर्ता की बातचीत उसके मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड की गई है। प्रतिवादी (पति) उक्त बातचीत के आधार पर अदालत के समक्ष उससे जिरह करना चाहता है। अदालत ने उक्त आवेदन को स्वीकार कर लिया और अनुमति दे दी।

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Call Recording Legal or Illegal?

महिला ने दी ये दलील

फैमिली कोर्ट के इस आदेश के बाद महिला ने 21 अक्टूबर 2021 को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और फोन की रिकॉर्डिंग बतौर साक्ष्य पेश करने के आदेश को रद्द करने की मांग की थी। महिला की दलील थी कि यह उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि फैमिली कोर्ट ने कॉल रिकॉर्डिंग पेश करने की अनुमति देकर कानूनी त्रुटि की है। याचिकाकर्ता की जानकारी के बिना प्रतिवादी द्वारा बातचीत रिकॉर्ड की गई थी, इसलिए इसका उपयोग उसके खिलाफ नहीं किया जा सकता।

हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

दोनों पक्षों की तमाम दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडे की एकल पीठ ने महासमुंद परिवार न्यायालय द्वारा पारित 21 अक्टूबर 2021 का आदेश रद्द कर दिया। अदालत ने माना है कि किसी व्यक्ति की अनुमति के बिना उसकी बातचीत रिकॉर्ड करना कानून का उल्लंघन है।

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