जम्मू कश्मीर में प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षा बलों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पैलेट गन मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के हलफनामे पर नाराजगी जाहिर की है।

जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने हलफनामा में कहा था कि, जिस वक्त भारत और पाक का बंटवारा हो रहा था, उस दौरान जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय गलती थी। जिसका जवाब देते वक्त चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि, यह जवाब स्तब्ध करने वाला है।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने जम्मू-कश्मीर में पैलेट गन के इस्तेमाल के मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने ये पूछकर गलती की है कि जम्मू कश्मीर की सड़कों पर लोग प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं।

जैसा कि पिछले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक का आदेश दे सकता है, लिहाजा वहां हो रही प्रदर्शन को रोका जाए। इसके अलावा कोर्ट ने सवाल उठाया था कि प्रदर्शनकारियों में 9 से 17 साल तक के बच्चे और युवक क्यों शामिल हैं?  रिपोर्ट के मुताबिक जख्मी लोगों में 40 या उससे ऊपर 60 साल तक के लोग नहीं हैं। पैलेट गन से जख्मी लोगों में 95 फीसदी छात्र हैं।

पहले भी कोर्ट ने कश्मीर की हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि कश्मीर की मौजूदा हालात चिंताजनक हैं। वहीं केंद्र सरकार ने कोर्ट से कहा कि पैलेट गन का इस्तेमाल आखिरी विकल्प के तौर पर किया जा रहा है और इसका मकसद किसी को मारना नहीं है।

कोर्ट ने बार एसोसिएशन को राज्य में हालात सामान्य करने के लिए मध्यक्षता करने और जवाब दाखिल करने के लिए कहा था। बार एसोसिएशन ने सुरक्षाबलों से पैलेट गन के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने की मांग की है।

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