हर-हर गंगे के स्वर के साथ आज पूरा भारत हर्षोल्लास के साथ गंगा दशहरा मना रहा है। विविधताओं से भरे इस देश में गंगा को सभी धर्मों, जातियों, विचारधाराओं में पूजा जाता है। क्योंकि गंगा सिर्फ एक नदी ही नहीं है, यह भारत के करोड़ों लोगों को जीवन देती हैं, उनमें ऊर्जा भरती है, कईयों को रोजगार देती हैं।

गंगा दशहरा प्रमुख रूप से हिन्दुओं का मुख्य त्यौहार है। गंगा दशहरा ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। इस दिन गंगा में स्नान करने से मनुष्य 10 प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है। इसी पावन पर्व पर आज इलाहाबाद, हरिद्वार, वाराणसी आदि शहरों में हजारों श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई।

गंगा दशहरा के दिन ही स्वर्ग से पृथ्वी पर मां गंगा का अवतरण हुआ था। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमीं को गंगा हिमालय से निकलकर धरती पर आई थीं। महाराजा सगर ने विश्व विजय की कामना से अश्वमेध यज्ञ किया। किंतु इस यज्ञ में इंद्र ने ऐसी परिस्थितियां पैदा कर दी कि भूलवश महाराजा सगर के पुत्रों ने कपिल मुनि की तपस्या भंग कर दी।

कपिल मुनि ने क्रोध में आकर सभी सगर पुत्रों को भस्म कर दिया। इन सभी मृत आत्माओ की मुक्ति के लिये किसी पवित्र नदी की आवश्यकता थी क्योंकि उस समय अगस्त ऋषि ने सभी तरह के जल के पानी को सोख लिया था। राजा सगर, अंशुमान और दिलीप ने मां गंगा को धरती में लाने के लिये घोर तप किया लेकिन वे असफल रहे।

तब जाकर दिलीप के पुत्र भगीरथ की तपस्या से गंगा जी का अवतरण धरती पर हुआ जिससे उनके पुरखों को मोक्ष मिला। साथ ही मृत्युलोक वासियों को गंगा जी का सान्निध्य प्राप्त हुआ।

गंगा पूजन कैसे करें-

इस दिन गंगा या किसी पवित्र नदी या फ़िर घर में जल में गंगाजल मिलाकर इस मंत्र का पाठ करना चाहिये।

ॐ नमह शिवाये नारायनये दशहराये गंगाये नमह

इस मंत्र का जाप दस बार करना चाहीये। इसके पश्चात हाथ में पुष्प लेकर इस मंत्र का पाठ करना चाहिये-

ॐ नमो भगवते ऐइम ह्री श्री हिली हिली मिली मिली गंगे मां पावय पावय स्वाहा

इस मंत्र का पांच बार उच्चारण कर पुष्प जल को अर्पण करना चाहिये। साथ ही अपने पितरों की तृप्ति के लिये प्रार्थना करना चाहिये। स्नान के समय दस दीपों का दान करना चाहिये नदी में दस डुबकी लगाना चाहिये। जौ और तिल सोलह मुट्ठी लेकर तर्पण कार्य करना चाहिये इस दिन किया गय़ा कार्य पितरों को मोक्ष तथा वंशवृद्धि के लिये अति उत्तम होता है।

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