Election Commission की निष्‍पक्षता पर विपक्ष ने उठाए सवाल, चुनाव आयोग ने पंजाब चुनाव की तैयारियों का लिया जायजा

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Mallikarjun Kharge
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Election Commission: राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि PMO ऐसा नहीं कर सकता है। Election Commission एक स्‍वतंत्र निकाय है और उसे स्वतंत्र होना चाहिए। वे Election Commission को कैसे बुला सकते हैं? उन्होंने कहा कि फिर हम कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि चुनाव निष्पक्ष होंगे? कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि 5 राज्यों में चुनाव आ रहे हैं, हम कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि आने वाले सभी चुनाव निष्‍पक्ष होंगे।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कानून मंत्रालय की ओर से भेजे एक सरकारी नोट में चुनाव आयुक्तों को पीएमओ की एक बैठक में मौजूद रहने को कहा गया था। जबकि चुनाव आयुक्तों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी स्वतंत्रता और तटस्थता बनाए रखने के लिए सरकार से दूरी बनाकर रखेंगे। पीएमओ की बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) सुशील चंद्र और दो अन्य चुनाव आयुक्त, राजीव कुमार एवं अनूप चंद्र के शामिल होने के कारण विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की है।

Mallikarjun Kharge on Election Commission
Mallikarjun Kharge

CPM के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने कहा कि सरकार Election Commission जैसे स्वतंत्र संस्थानों के साथ “छेड़छाड़” कर रही है। ब्रिटास के अनुसार भारत के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि यह सरकार इस देश में सभी संस्थानों, विशेष रूप से Election Commission को पंगु बनाने पर तुली हुई है।

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उधर मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा की अगुवाई वाले Election Commission की टीम ने पंजाब सरकार के अधिकारियों को कड़ी चेतावनी दी है कि वे निष्पक्ष होकर काम करें अन्यथा कार्रवाई की जाएगी। प्रमुख राजनीतिक दलों ने शिकायत की थी कि चुनाव में अपने लिए काम करने वाले अफसरों की नियुक्तियां की जा रही हैं, इसपर Election Commission ने सख्त रुख अपनाया। Election Commission ने कहा कि अफसर फरवरी 2022 में लंबित पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए निष्पक्ष होकर काम करें। शराब, पैसा और ड्रग्स आदि बांटने को लेकर आयोग खास तौर पर सख्ती बरतेगा।

Election Commissioner की नियुक्‍त‍ि कौन करता है?

Election Commission of India
Election Commission of India

देश के पहले मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त सुकुमार सेन थे। वे जो 21 मार्च 1950 से लेकर 19 दिसम्बर 1958 तक इस पद पर रहे। इनकी सेवाओं के लिए सन् 1954 में इन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं अन्‍य चुनाव आयुक्‍तों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। इनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु (दोनों में से जो भी पहले हो) तक होता है। आयोग भारत में संघ और राज्य चुनाव प्रक्रियाओं को पूरा कराने के लिये यह एक स्वायत्त संवैधानिक संस्‍था है।

निर्वाचन आयोग में मूलतः केवल एक चुनाव आयुक्त का प्रावधान था, लेकिन राष्ट्रपति की एक अधिसूचना के जरिये 16 अक्तूबर, 1989 को इसे तीन सदस्यीय बना दिया गया। इसके बाद कुछ समय के लिये इसे एक सदस्यीय आयोग बना दिया गया और 1 अक्तूबर, 1993 को इसका तीन सदस्यीय आयोग वाला स्वरूप फिर से बहाल कर दिया गया। वर्तमान में भारत के मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त सुशील चंद्रा हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त को 250,000 रुपये प्रति माह वेतन दिए जाते हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद द्वारा महाभियोग पर राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है।

लोक सभा और राज्‍य सभा में कितने सदस्‍य होते हैं?

Election Commission Parliament
Parliament

भारतीय संविधान में व्‍यवस्‍था है कि लोकसभा में अधिकतम सदस्‍य संख्‍या 552 होगी – 530 सदस्‍य राज्‍यों का प्रतिनिधित्‍व करेंगे, 20 सदस्‍य संघशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्‍व करेंगे तथा 2 सदस्‍यों को राष्‍ट्रपति द्वारा एंग्‍लो-इण्डियन समुदाय से नामित किया जाएगा। वर्तमान में लोकसभ में सदस्‍यों की संख्‍या 545 है।

संविधान के अनुच्छेद 80 में राज्य सभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 निर्धारित की गई है, जिनमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नाम निर्देशित किए जाते हैं और 238 सदस्य राज्यों के और संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधि होते हैं।

राज्य सभा के सदस्यों की वर्तमान संख्या 245 है, जिनमें से 233 सदस्य राज्यों और संघ राज्यक्षेत्र दिल्ली तथा पुडुचेरी के प्रतिनिधि हैं और 12 राष्ट्रपति द्वारा नाम निर्देशित हैं। राष्ट्रपति द्वारा नाम निर्देशित किए जाने वाले सदस्य ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्हें साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा जैसे विषयों के संबंध में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव है।

लघु संविधान किसे कहा जाता है?

1976 में 42वां संशोधन संविधान के बड़े हिस्से को प्रभावित करने वाला एक व्यापक संशोधन था। संशोधन ने प्रस्तावना, संविधान की सातवीं अनुसूची और संविधान के 53 अनुच्छेदों में परिवर्तन किए। संविधान में इन भारी परिवर्तनों के कारण 42वें संशोधन को लघु संविधान ( Mini Constitution of India) कहा गया।

स्‍वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल

भारत का प्रथम वायसराय Warren Hastings और अंतिम वायसराय Lord Mountbatten था जो देश के स्‍वतंत्र होने के समय अर्थात् अगस्‍त 1947 तक बना रहा। 15 अगस्‍त 1947 में जब देश स्‍वतंत्र हुआ तो वायसराय की जगह गवर्नर जनरल नियुक्‍त किया गया। स्‍वतंत्र भारत के पहले और अंतिम ब्रिटिश गवर्नर जनरल Lord Mountbatten था। स्‍वतंत्रता मिलने के बाद भी Lord Mountbatten 21 जून 1948 तक गवर्नर जनरल रहा।

देश का पहला भारतीय गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (1948–1950) को बनाया गया। वे स्‍वतंत्र भारत के अंतिम गवर्नर जनरल थें। संविधान लागू होने के साथ ही 26 जनवरी 1950 को भारत में गवर्नर जनरल का पद समाप्‍त कर दिया गया। भारत ने संविधान को 26 नवंबर 1949 को स्‍वीकार किया और इसे 26 जनवारी 1950 से देश में लागू किया गया।

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