जरा संभलकर खाएं खाना, जल्‍द ही सरकार खाद्य पदार्थों पर लगाने जा रही Fat Tax

0
486
Fat Tax
Fat Tax

Fat Tax: लगातार बढ़ रहे मोटापे से अब लोग ही नहीं बल्कि सरकार भी परेशान हो रही है। एक स्‍वस्‍थ्‍य देश में ही अच्‍छी जीडीपी और विकास बेहतर होता है। सरकार भी लोगों की सेहत पर ध्‍यान देने के लिए कुछ खास कदम उठाने जा रही है। ये कदम कोई नियम अथवा कानून नहीं, बल्कि खाद्य पदार्थों पर लगने वाला फैट टैक्‍स (Fat Tax) है।

लोगों में बढ़ते मोटापे को नियंत्रित करने और फिट रहने के मकसद से सरकार का थिंक टैंक यानी नीति आयोग एक नए टैक्‍स लागू करने पर विचार कर रहा है। जी, हां ये टैक्‍स सीधे खाद्य पदार्थों के तौर पर आम जनता से वसूला जाएगा। सरकार का मानना है कि इस टैक्‍स के लागू होने से चीनी, वसा और नमक वाले खाद्य पदार्थों का सेवन लोग अपनी सेहत को ध्‍यान में रखते हुए ही करेंगे। ऐसे में सरकार अब ‘फ्रंट-ऑफ-द-पैक लेबलिंग’ जैसे कदम उठाने के प्रस्ताव पर विचार करने जा रही है। FOPL से उपभोक्ताओं को अधिक चीनी, नमक और वसा वाले उत्पादों को पहचानने में मदद मिलेगी।

Fat 1

Fat Tax: नीति आयोग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

दरअसल हालही में ही नीति आयोग की 2021-22 की सालाना रिपोर्ट जारी की गई थी। इस रिपोर्ट में स्‍पष्‍ट तौर पर बताया गया कि देश की आबादी का 40 फीसदी से अधिक हिस्‍सा इस समय मोटापे की समस्‍या से जूझ रहा है। इसमें वर्ष 2015-16 और 2020-21 के आधार वर्ष पर पुरुषों और महिलाओं में मोटापे (Obesity) की स्थिति का सटीक आकलन किया गया है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे रिपोर्ट में सामने आया, कि वर्ष 2015-16 के मुकाबले 2020-21 में मोटापे की शिकार महिलाओं का प्रतिशत 24 फीसदी तक पहुंच गया। वहीं पुरुषों (Males) में ये 22.9 फीसदी तक पहुंच गया, जोकि चिंता की बात है। रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है,कि भारत में बच्चों, किशोरों और महिलाओं में अधिक वजन और मोटापे की समस्या लगातार बढ़ रही है।

Fat Tax: हाइपरलूप प्रणाली बनाने की तैयारी
नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि हाइपरलूप प्रणाली की तकनीकी और व्यावसायिक व्यवहार के अध्ययन के लिए आयोग के सदस्य वीके सारस्वत की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति अब तक चार बैठकें कर चुकी हैं। उप-समितियों का भी गठन किया गया है, जिन्होंने सुझाव दिया है कि निजी क्षेत्र को हाइपरलूप प्रणाली के निर्माण, स्वामित्व और संचालन की अनुमति दी जानी चाहिए। सरकार को सिर्फ प्रमाणन, अनुमति, टैक्स बेनेफिट और भूमि (अगर संभव हो) आदि की सुविधा प्रदान करनी चाहिए। उप-समितियों ने यह भी कहा कि सरकार इसमें निवेश नहीं करेगी और निजी प्लेयर्स ही पूरा जोखिम उठाएंगे।

संबंधित खबरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here