कोरोना काल में सबसे अधिक अगर किसी औषधि का इस्तेमाल हुआ है तो वो गिलोय है। कई तरह के रोगों को खत्म करने वाली गिलोय राष्ट्रीय औषधि घोषित हो सकती है। केंद्र सरकार इस मुद्दे पर विचार कर रही है। सभी राज्यों में इसका प्रचार प्रसार करने की केंद्र ने रणनीति तैयार की है। गिलोय कई तरह की बीमीरियों से लड़ने में कारगार है। इसके गुणों को लेकर विभिन्न राज्यों में 30 से अधिक शोध करने की तैयारी की है। आयुष मंत्रालय ने एक आरटीआइ में गिलोय को राष्ट्रीय औषधि घोषित किए जाने के प्रयासों के बारे में पूछे जाने पर यह जानकारी दी है। 

पौराणिक कथाओं में गिलोय का उल्लेख मिलता है। जिसमें कहा गया है कि गिलोय के गुण, अमृत के समान हैं। यह बात भी साबित हो चुकी है कि गिलोय अलग-अलग बीमारियों में लाभदायक है। इसे आयुर्वेद, होम्योपैथी और प्राकृतिक चिकित्सा के रूप में उपयोग किया जा रहा है। कोराना काल में भी गिलोय राम बाण साबित हुई है। कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए बनाई गईं आयुर्वेदिक दवाइयों में गिलोय का उपयोग प्रचुर मात्रा में किया गया है। बुखार के साथ साथ आजकल शुगर, एलर्जी और अस्थमा आदि के इलाज में भी इससे इलाज किया जा रहा है।

गांव कादीपुर निवासी व आरटीआइ कार्यकर्ता हरपाल सिंह राणा गिलोय को राष्ट्रीय औषधि घोषित कराने के लिए दो साल से संघर्ष कर रहे हैं। दिल्ली समेत कइ राज्यों को 50 से अधिक पत्र इस बारे में लिखे कि गिलोय को राज्य औषधि घोषित किया जाए। इसी दौरान केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री को पत्र लिखे हैं। इसके साथ ही कई आरटीआइ भी लगाईं।

अंतिम बार सितंबर 2020 में आयुष मंत्रालय में आरटीआई लगाई। जिसका जवाब आयुष मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड की ओर से गत अप्रैल में उनके पास आया है। जिसमें केंद्र सरकार ने भी गिलोय को गुणों से भरपूर माना है। केंद्र ने जवाब में कहा है कि सरकार गिलोय का प्रचार प्रसार किया जा रहा है।

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