बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बने हुए हैं। खबर है कि पांडे जी बिहार के चुनावी मैदान में उतरने वाले हैं।

गुप्तेश्वर पांडे ने वक्त से पहले ही सेवनिवृत्ति यानी की वीआरएस लिया है। इसे राज्यपाल ने स्वीकार भी कर लिया है। इस बात से आकलन लगाया जा रहा है कि गुप्तेश्वर पांडे बीजेपी की तरफ से चुनाव के मैदान में उतर सकते हैं।

इन्होंने दूसरी बार वीआरएस लिया है। 11 साल पहले भी वीआरएस ले चुके हैं पांडे जी पर बीजेपी की तरफ से टिकट न मिलने के कारण फिर से देश सेवा में जुट गए थे।

पांडे का कार्यकाल 28 फरवरी 2021 तक था लेकिन एक बार फिर गद्दी की महिमा ने इनको वीआरएस लेने पर मजबूर कर दिया। 2009 के लोकसभा चुनाव के पहले भी वीआरएस लिया था इन्होंने अब विधानसभा चुनाव का रंग है।

गुप्तेश्वर पांडे 1987  बैच के आईपीएस ऑफिसर हैं। इन्हें जनवरी 2019 में बिहार क डीजीपी बनाया गया था।

मिली खबर के अनुसार गुप्तेश्वर पांडे बिहार की बक्सर लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे। गुप्तेश्वर पांडे को उम्मीद थी कि बक्सर से बीजेपी के तत्कालीन सांसद लालमुनि चौबे को पार्टी दोबारा से प्रत्याशी नहीं बनाएगी। ऐसे में वह पुलिस की नौकरी से इस्तीफा देकर गद्दी पाने की चाह में निकल पड़े थे। 

बीजेपी नेताओं के साथ पांडे ने अपने समीकरण भी बना लिए थे और टिकट मिलने का पूरा भरोसा हो गया भी हो गया था। गुप्तेश्वर पांडे के नाम की घोषणा होती उससे पहले ही बीजेपी नेता लालमुनि चौबे ने बागी रुख अख्तियार कर लिया। इससे बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए लालमुनि चौबे को भी मैदान में उतारने का फैसला किया। निराश होने के बाद गुप्तेश्वर पांडे ने फिर से काम पर वापसी कर ली थी।

गुप्तेश्वर पांडे ने इस्तीफा देने के 9 महीने बाद बिहार सरकार से कहा कि वे अपना इस्तीफा वापस लेना चाहते हैं और नौकरी करना चाहते हैं। बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने उनकी अर्जी को स्वीकार करते इस्तीफा वापस कर दिया था। इस तरह से गुप्तेश्वर पांडे की पुलिस सर्विस में नौकरी में वापसी हो गई। 2009 में जब पांडे ने वीआरएस लिया था तब वो आईजी थे और 2019 में उन्हें बिहार का डीजीपी बनाया गया था। चुनावी माहौल में पांडे जी ने फिर वीआरएस लिया है। चल पड़े हैं गद्दी को पाने के लिए।

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