भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान लगातार आविष्कार में जुटा रहता है। ये कई आविष्कार भी कर चुके हैं। इस बार आईआईटी मद्रास ने अनोखा आविष्कार किया है। इन्होंने रैपर सामग्री का आविष्कार किया है, जिससे खाना सुरक्षित रहेगा। ये जीवाणु रोध है। साथ ही पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाएगा।

इस बात की जानकारी आईआईटी मद्रास ने खुद ट्वीट कर के दी उन्होंने लिखा, “पहला यह कि इस सामग्री से पैक किए जाने के बाद भोजन जीवाणुओं के चलते दूषित नहीं हो पाएगा और दूसरा यह कि पैकिंग सामग्री प्राकृतिक रूप से स्वयं नष्ट हो जाएगी जिससे प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या में कमी आएगी।”

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के अनुसंधानकर्ताओं ने भोजन की पैकिंग के लिए एक ऐसी सामग्री विकसित की है जो न सिर्फ जीवाणु रोधी है, बल्कि यह प्राकृतिक रूप से स्वयं ही नष्ट हो जाती है और इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता।
          
आईआईटी के जैव-प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर मुकेश डोबले ने कहा, ”हमने प्राकृतिक रूप से नष्ट होने वाली पैकिंग सामग्री विकसित की है जिससे भोजन में जीवाणु उत्पन्न नहीं होंगे। इसे अधिकारियों से अनुमति मिल गई है और यह किसी भी तरह हानिकारक नहीं है।

बता दे कि लंच पैक करने के लिए लोग बाजार में पड़े सस्ते पलास्टिक या पेपर का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन इन पर किटाणुओं का वास होता है। साथ ही पेपर पर लगी स्याही सेहत को खराब कर सकती है। स्याही में कई तरह के कैमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे बीमारियों का खतरा अधिक बढ़ जाता है।

पलास्टिक इस्तेमाल करने से पर्यावरण को बहुत हानी होती है। क्योंकि पलास्टिक कभी नष्ट नहीं होता है। ये नदी नालों में जाकर फंस जाता है। जिससे बाढ़ जैसी समस्याएं बढ़ जाती है। साथ ही नदी और समुद्र में रहने वाले जीव जंतुओं के लिए नुकसानदायक है।

बता दे कि इसे तैयार करने वाली टीम ने एक पेटेंट भी दायर किया है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की पहल से पर्यावरण और मानव को सुरक्षित रखने में काफी मदद मिलेगी।

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