इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में अहमदाबाद की विशेष CBI अदालत ने गुजरात के पूर्व DGP पीपी पांडे को बरी कर दिया है। कोर्ट ने सबूतों के अभावों में पांडे को बरी किया है। 4 फरवरी को मामले पर सुनवाई पूरी करने के बाद न्यायाधीश जे के पंड्या ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। फिलहाल जमानत पर चल रहे पांडे ने दलील दी थी कि उनके खिलाफ दो गवाहों के बयान विरोधाभासी हैं और अदालत द्वारा की जा रही जांच में शामिल अन्य 105 गवाहों में इनमें से किसी का नाम भी शामिल नहीं था।

अदालत ने कहा कि पांडे सरकारी सेवक थे लेकिन CrPC की धारा 197 के अनुसार उनके विरुद्ध आरोपपत्र दायर करने से पहले जांच अधिकारी ने सरकार से उन पर मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं ली. सीबीआई ने 2013 में अपना पहला आरोपपत्र दायर कर आईपीएस अधिकारी पी पी पांडे, डी जी वंजारा और जी एल सिंहल समेत गुजरात पुलिस के सात अधिकारियों पर नामजद किया था और उन पर अपहरण, हत्या एवं साजिश का आरोप लगाया था।

सीबीआई ने पीपी पांडे की रिहाई याचिका का ये कहते हुए विरोध किया था कि ये साबित करने के लिए उनके पास पर्याप्त सबूत हैं कि वो कथित इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ की साजिश में शामिल थे। 2004 को इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लै, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर के कथित मुठभेड़ में मारे जाने के समय पांडेय गुजरात की अपराध शाखा के प्रमुख थे। गुजरात पुलिस ने दावा किया था कि इन लोगों के आतंकवादियों से संबंध थे। हाई कोर्ट द्वारा गठित एक एसआईटी ने इसे फर्जी मुठभेड़ बताया था। इसके बाद सीबीआई को मामला दिया गया। जमानत पर रिहा होने के बाद पांडेय को फरवरी 2015 में वापस सेवा में ले लिया गया था और राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो का निदेशक नियुक्त किया गया था। पिछले साल 16 अप्रैल को पांडेय को गुजरात का प्रभारी पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया गया था।

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