अटल बिहारी वाजपेयी के हनुमान और बीजेपी के संस्थापक सदस्य रहे जसंवत सिंह का लंबी बीमारी के बाद 82 की उम्र में निधन हो गया। जसवंत सिंह काफी समय से कोमा में थे। ये राजनेता के साथ-साथ फौजी भी थे। महज 15 साल की उम्र में देश सेवा में जुट गए थे। 9 साल देश की सेवा करने के बाद जसवंत सिंह राजनीति में उतर गए। इस दौरान इनका नाम कई दफा विवादों में रहा। किताब की बात करे या 2014 लोकसभा चुनाव की जसवंत सिंह सुर्खियों में रहे।


1. 1999 हाईजैक

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24 दिसंबर, 1999 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट आईसी-814 को पांच हथियारबंद आतंकियों ने मसूद अजहर, अहमद जरगर, शेख अहमद उमर सईद को छुड़ाने के लिए हाईजैक कर लिया था। इसमें 176 यात्री और 15 क्रू मेंबर्स सवार थे। आतंकियों के चंगुल से यात्रियों को छुड़ाने के लिए सरकार ने समझौता किया और आतंकियों को छोड़ दिया, जो 2002 में आतंकियों का सरगना बना। आज मसूद अजहर के नाम से जाना जाता है। इस दौरान विदेशमंत्री जसवंत सिंह थे। आतंकियों को छोड़ने के बाद विपक्ष ने जमकर इनकी आलोचना की थी।

2. विवादित किताब

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जसवंत सिंह की 19 अगस्त 2009 में जिन्ना इंडिया, पार्टिशन, इंडेपेंडेंस नाम की एक किताब आई थी जिसमें उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पेटल की जम के आलोचना की थी। इसमें इन्होंने पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की गलत छवि प्रस्तुत करने के बारे में भी प्रकाश डाला। इस किताब में जसवंत सिंह ने बंटवारे के दौरान सरदार वल्लभ भाई पटेल और पंडित जवाहर लाल नेहरु की नीतियों पर भी सवाल उठाए थे। इस किताब में जिन्ना के पाकिस्तान को बनाने के पीछे का विश्लेषण किया गया है। आलोचना करने के कारण इन्हे पार्टी ने निकला दिया था। फिर समय के साथ वापस भी बुला लिया।


3. आरएसएस का विरोध

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1996 में जसवंत सिंह वाजपेयी की 13 दिन की सरकार में वित्त मंत्री बनाए गए। जब वाजपेयी दोबारा सत्ता में आए तो वो जसवंत सिंह को फिर वित्त मंत्री बनाना चाहते थे, लेकिन आरएसएस ने उनके मंत्री बनाए जाने का विरोध किया। वाजपेयी को इससे बहुत दुख पहुंचा लेकिन उन्होंने उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष बना दिया।

उस समय जसवंत सिंह से पूछा गया था कि क्या आरएसएस द्वारा उन्हें मंत्री बनाए जाने का विरोध करने से आप निराश हुए हैं, तो जसवंत सिंह का जवाब था, “दुनिया उन लोगों की क़ब्रों से भरी पड़ी है जो ये समझते थे कि उनके बिना दुनिया का काम नहीं चल सकता है। मेरा मानना है कि मेरे बिना इस देश का काम चल सकता है।”


4. लोकसभा चुनाव 2014

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लोकसभा चुनाव 2014 में राजस्थान के बाड़मेर-जैसलमैर लोकसभा संसदीय क्षेत्र से भाजपा द्वारा टिकट नहीं मिलने पर इन्होंने बगावत छेड़ दी और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। उन्हें इस बगावत के कारण छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया गया था। चुनाव हारने के बाद ये दिल्ली लौट आए। कुछ दिन बाद खबर सामने आई की जसवंत सिंह बाथरूम गिर गए हैं जिससे इनको गरही चोट आगई थी।


5. रिश्तों में खटास

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वसुंधरा राजे 2014 में राजस्थान की मुख्यमंत्री थी इसी दौरान लोकसभा चुनाव होना था और जसवंत सिंह को बाड़मेर के जैसलमैर से टिकट मिलने वाला थी। इनकी इस उम्मीद पर वसुंधरा राजे ने ब्रेक लगा दिया जिससे दोनों के रिश्ते में खटास पैदा हो गई।

बात दे कि 2014 लोकसभा चुनाव से एक दिन पहले वो अपने बाथरूम में गिर गए जिससे उनके सिर में गहरी चोट लगी। वो पिछले छह सालों से लगातार कोमा में रहे और अब वो इस दुनिया में नहीं रहे।

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