पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के किसान 27 दिनों से बॉर्डर पर आंदोलन कर रह हैं। 21 तारीख को महाराष्ट्र के किसान भी दिल्ली कूच करेंगे। ये लोग नए कृषि कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। किसानों ने प्रण लिया है कि जब तक मोदी सरकार इन काले कानून को वापस नहीं लेती है तब-तक वे बॉर्डर पर जुटे रहेंगे।

किसानों को कौन कर रहा है फंडिंग

किसानों से बातचीत के दौरान पता चला कि वे 6 महीने का राशन पानी लेकर दिल्ली की तरफ आए हैं। साथ ही अपने गांव में कह के आए हैं कि जीतकर वापस लौटेंगे या हमारी लाशें वापस आएंगी।

किसानों के इस प्रदर्शन को कुछ खालिस्तानी संगठन भी आग दे रहें हैं। खबर है कि किसानों को भारी मात्रा में फंडिंग हो रही जिससे वे 6 महीने तक बॉर्डर पर टिके रहें।

भारत में कई एनजीओ की होगी जांच

राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी की एनआईए खालिस्तानी संगठनों को लेकर सतर्क हो गई है। साथ ही एनआईए की रडार पर कुछ एनजीओ भी आ गए हैं। सूत्रों के मुताबिक, एनआईए ने खालिस्तानी संगठन और इनके द्वारा किए जाने वाले एनजीओ की फंडिंग की लिस्ट तैयार की है। भारत में मौजूद इन एनजीओ में खालिस्तानी संगठन टेरर फंडिंग करके आतंक फैलाने की फिराक में हैं।

सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्रालय में 12 दिसंबर को एनआईए, ईडी, आयकर, सीबीआई और FCRA डिवीजन के अधिकारियों की एक बड़ी बैठक हुई थी, उसके बाद ये प्लान तैयार हुआ है कि SFJ, बब्बर खालसा इंटरनेशनल,खालिस्तान ज़िन्दाबाद फ़ोर्स, खालिस्तान टाइगर फ़ोर्स पर शिकंजा कसने और विदेशी फंडिंग को खंगाला जाएगा।

जर्मनी से होने वाली विदेशी फंडिंग को खंगाला जाएगा।

सूत्रों का कहना है कि अलग-अलग देशों में हुए इस किसान प्रोटेस्ट में SFJ(सिख फ़ॉर जस्टिस), खालिस्तान ज़िन्दाबाद फ़ोर्स, बब्बर खालसा इंटरनेशनल और खालिस्तान टाइगर फोर्स जैसे संगठन शामिल थे। भारत में इन खालिस्तानी संगठनों से कई एनजीओ में पैसे पहुंचे हैं, जिसकी जांच एनआईए, ईडी, आयकर और दूसरी जांच एजेंसियां करेंगी।

ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और जर्मनी से होने वाली विदेशी फंडिंग को खंगाला जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, जैसे कश्मीर में अलगाववादी संगठनों और आतंकी संगठनों पर कार्रवाई हुई है। उसी तर्ज पर खालिस्तानी संगठनों और इससे जुड़े एनजीओ और खालिस्तानी आतंकियों पर कार्रवाई होगी।

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