Rajyasabha में बोले कानून मंत्री Kiren Rijiju, “देश में 10 लाख की आबादी पर 21 जज”

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Kiren Rijiju
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Kiren Rijiju : एक अरब की आबादी के आंकड़े को पार कर चुके देश में न्‍याय व्‍यवस्‍था की स्थिति कमजोर है। भारत के तमाम न्‍यायालय, सेशन कोर्ट आदि में आज भी आबादी का बड़ा हिस्‍सा न्‍याय की आस में पहुंच रहा है। बावजूद इसके न्‍यायिक व्‍यवस्‍था में संसाधनों की कमी बनी हुई है।

बीते गुरुवार को केंद्र सरकार की ओर से इस बात की जानकारी दी गई, कि देश में प्रति 10 लाख की आबादी पर करीब 21 जज उपलब्‍ध हैं। राज्‍यसभा (Rajyasabha) में गुरुवार को एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने सदन को बताया कि 31 दिसंबर 2021 की स्थिति के मुताबिक जजों की स्वीकृत संख्या 21.03 है। इसके आधार पर जज और आबादी का अनुपात प्रति दस लाख में करीब 21 जज हो रहा है।

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Kiren Rijiju : सुप्रीम कोर्ट में जजों की स्वीकृत संख्या 34

सुप्रीम कोर्ट में जजों की स्वीकृत संख्या 34 है। वहीं देश के 25 हाई कोर्ट में 1098 जजों की संख्या स्वीकृत है।रिजीजू ने बताया कि हाई कोर्ट द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले साल दिसंबर तक 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 898 फास्ट ट्रैक अदालतें काम कर रही हैं।

उन्‍होंने बताया कि आबादी के आधार पर जजों की संख्या की जानकारी के लिए कानून मंत्रालय काम करता है। कानून विभाग हर वर्ष प्रति 10 लाख की आबादी पर जजों की संख्या गिनने के लिए वर्ष 2011 की जनगणना को आधार बनाता है। उसी आंकड़े के आधार पर सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, जिला अदालत और अधीनस्थ अदालतों में उस साल जजों की स्वीकृत संख्या के बारे में उपलब्ध जानकारी का उपयोग करता है।

KJ NEW
Kiren rijiju pic credit google

Kiren Rijiju : आपत्तिजनक टिप्पणियों पर चिंता व्यक्त की

पिछले वर्ष भी केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने जजों के खिलाफ इंटरनेट मीडिया पर की जा रही आपत्तिजनक टिप्पणियों पर चिंता व्यक्त की थी। उन्‍होंने कहा था कि लोग न्यायाधीश के जीवन की चुनौतियों व मुश्किलों को समझते नहीं हैं। बिना सोचे समझे उनके बारे में कुछ भी बयान देते हैं, इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट करते हैं। यह ठीक नहीं। आम आदमी के लिए न्याय पाना आसान नहीं होता है। लोग न्‍याय की आस में सबकुछ गंवा देते हैं।

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