कोरोना काल में हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए मुश्किलें और बढ़ गई हैं। इस मुश्किल को हल करने के लिए केंद्र सरकार कई प्लान पर काम कर रही है। जिसके तहत एक राज्य से दूसरे राज्य जाने वाले यात्रियों को कम से कम मुश्किल हो। केंद्र सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि जिन लोगों को वैक्सीन के दोनों डोज लग चुके हैं, उन्हें देश में कहीं भी यात्रा करने के लिए RT-PCR रिपोर्ट की जरूरत नहीं होगी।

नई गाइडलाइंस के अनुसार उन यात्रियों को हवाई यात्रा करते समय आरटीपीसीआर रिपोर्ट देना जरूरी हैं जिन राज्यों में सबसे अधिक केस हैं। लेकिन अब इस मुश्किल को हल करने की कोशिश की जा रही है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ कुछ मंत्रालयों की संयुक्त टीम इस मैकेनिज्म पर फाइनल फैसला लेने के लिए विचार कर रही है। ये फैसला केवल सिविल एविएशन मिनिस्ट्री का नहीं होगा।

इसमें सरकार के साथ काम कर रहीं विभिन्न एजेंसियों और हेल्थ एक्सपर्ट को भी शामिल किया जाएगा। ये सभी यात्रियों के हितों का ध्यान रखते हुए फैसला लेंगे। स्वास्थ्य राज्यों का मसला है। किसी पैसेंजर से राज्य में दाखिल होते वक्त RT-PCR रिपोर्ट मांगना पूरी तरह से उस राज्य के अधिकार क्षेत्र में आता है।

नागरिक उड्डयन मंत्रालय संभालने वाले हरदीप पुरी ने बताया कि, जी 7 बैठक में हमने वैक्सीन पासपोर्ट का खासा विरोध किया है। कोरोना काल में वैक्सीन पासपोर्ट फॉर्मूले को लेकर खासा चिंता है। क्योंकि हर देश इतना सक्षम नहीं है कि, समय के साथ अपने नागरिकों को वैक्सीनेट कर सके। ऐसे में इंटरनेशनल पैसेंजर्स को वैक्सीन पासपोर्ट के आधार पर यात्रा की मंजूरी देना पक्षपाती विचार है।

गौरतलब है कि, कोविड के इस दौर में कई देशों ने वायरस के डर से अपने देशों में बाहरी देशों से आने वाले यात्रियों की एंट्री पर पाबंदी लगा रखी है। वहीं, जिन देशों में एंट्री खुली हुई है वहां बाहर से आने वाले यात्रियों को लंबे समय के लिए क्वारंटाइन रहना पड़ता है। अगर वैक्सीन पासपोर्ट लागू कर दिया जाए, तो यात्रियों को क्वारैंटाइन में छूट दी जा सकेगी।

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