बिहार के सत्ताधारी महागठबंधन के भविष्य पर सवाल खड़ा होता दिख रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राष्ट्रपति चुनाव पर दिए बयान के विरोध में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के अप्रत्याशित हमला तथा राजद विधायक वीरेंद्र भाई के कटाक्ष से जदयू आहत है। इसका संकेत जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह व प्रवक्ता संजय सिंह ने दिया है।
वैसे महागठबंधन का झगड़ा प्रत्यक्ष तौर पर राष्ट्रपति चुनाव में राजग उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को जदयू के समर्थन से शुरू हुआ है। ऐसे में स्वाभाविक रूप से नीतीश के लिए भाजपा का ‘सॉफ्ट कॉर्नर’ बना हुआ है। रविवार को तब और अधिक बिगड़ गई, जब तेजस्वी और राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे ने मुख्यमंत्री को लक्ष्य करके नए बयान जारी कर दिए। हालात देख जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह को कहना पड़ा कि “राजद के लोग शायद किसी बात के लिए मन बना चुके हैं।”
वहीं जदयू प्रवक्ता संजय सिंह ने चेतावनी दे दी कि नीतीश कुमार को गालियां देना बंद नहीं किया गया तो राजद समझ ले कि जदयू के लोग चूडि़यां नहीं पहने हैं। बहरहाल, इसका भी कोई असर नहीं हुआ। दोपहर में तेजस्वी यादव ने अपने ‘दिल की बात’ में किसी का नाम लिए बगैर कह दिया कि “अहंकार और भ्रम की वजह से विपक्ष बिखर गया है।” बाद में उनके इस बयान पर पूछे जाने पर तेजस्वी ने कहा, बयान पर अफसोस नहीं।
दरअसल अपने ‘दिल की बात’ में और आक्रमक हुए तेजस्वी ने नीतीश कुमार का नाम लिए बगैर कहा था कि अवसरवाद और जोड़-तोड़ की राजनीति से केवल कुछ ही लक्ष्य हासिल होंगे। उनका इशारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर था। तेजस्वी ने कहा कि इतिहास इस बात का साक्षी होगा कि जब सामाजिक न्याय की धारा के इर्द-गिर्द मजबूत करने की जरूरत थी तब हम शुतुरमुर्ग हो गए। अगर हम इस वक्त क्रियाशील नहीं होंगे तो आने वाला वक्त हमें माफ नहीं करेगा।
आपको बता दें कि 23 जून को अपने आवास पर आयोजित इफ्तार पार्टी में भी लालू ने नीतीश से बातचीत नहीं की थी। इसके बाद नीतीश कुमार पर तेजस्वी के आक्रामक हमले पर भी वह मौन रहे। माना जा रहा है कि जो कुछ हो रहा, उसमें राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की भी सहमति है।
फिलहाल महागठबंधन के बीच अब पूरी तरह फूट पद चुकी है। तो वही तेजस्वी यादव भी अब पार्टी को अपने रणनीति अनुसार चलाने के लिए तैयार है। जो भी पर इन सबका असर आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति पर नजर आएगा।