Mahua Laddu बनाकर छत्तीसगढ़ में महिलाएं बन रहीं हैं आत्मनिर्भर, Amazon-Flipkart पर बढ़ी मांग

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Mahua Laddu
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Mahua Laddu: महुआ का नाम सुनते ही दिमाग में शराब की तस्वीर आती है। अक्सर हमने यही सुना है कि महुआ की शराब बहुत नशीली होती है। पर क्या आप को पता है कि महुआ से स्वादिष्ट पराठा और लड्डू भी बनता है। महुआ कुपोषण से लड़ने में बहुत ही कारगार है। साथ ही एक संपत्ती के तौर पर है। महुआ Chhattisgarh के ग्रामीण जीवन में सांस्कृतिक एंव आर्थिक आधार है। महुआ का लड्डू बेचकर छत्तीसगढ़ की महिलाएं आत्मनिर्भर बन बन रही हैं। महुआ के लड्डू की मांग देश-विदेश से आ रही है।

राजनांदगांव जिले के वनांचल क्षेत्र की मिठास महुआ लड्डू के रूप में पूरे प्रदेश में घुल रही है। इस महुआ लड्डू की मांग छत्तीसगढ़ के कई जिलों और अमेजन-फ्लिपकार्ट पर भी हो रही है। आज के 15 साल पहले महुआ अधिकतर ग्रामीण इलाकों में पाया जाता था। पर अब ये धीरे-धीरे खत्म होने लगा था, लेकिन छत्तीसगढ़ की महिलाओं ने महुआ को नई विधि देकर जीवत कर दिया है।

Mahua Laddu का बढ़ता कारोबार

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राजनांदगांव वन विभाग के महुआ प्रसंस्करण केंद्र में जय मां फिरन्तीन महिला समूह के द्वारा महुआ लड्डू, चिल, गुड, फल्ली और महुआ के फूल की सहायता से तैयार किया जा रहा है। इस विशेष महुआ लड्डू की मांग सोशल मार्केटिंग साइट, अमेजन, फ्लिपकार्ट सहित विभिन्न माध्यमों से हो रही है।

दीपावली के समय इन महिलाओं ने माहुआ के लड्डू तैयार कर प्रधानमंत्री कैबिनेट के लिए दीपावली की मिठास को बढ़ाने दिल्ली भेजा था। वन विभाग की वनधन विकास योजना के माध्यम से वनांचल क्षेत्र की महिलाएं महुआ के फूल एकत्रित करती हैं और फिर इन फूलों को राजनांदगांव महुआ प्रसंस्करण केंद्र में लाया जाता है, जहां महिलाएं महुआ से महुआ अचार, महुआ कुकिज, महुआ चटनी, महुआ शरबत, महुआ चिक्की तैयार कर रही हैं।

Mahua Laddu के अलावा चिप्स भी है तैयार

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इसके अलावा इस प्रसंस्करण केंद्र में जामुन चिप्स भी बनाया जा रहा है। जो स्वास्थ्यवर्धक होने के साथ ही अपने विशेष स्वाद के लिए पहचाना जाने लगा है। लगभग 1000 किलो तैयार किए गए इस महुआ लड्डू से महिलाओं को 10 से 12 लाख रुपए की आय हुई है। पहले परिवार की आर्थिक स्थिति के लिए संघर्ष कर रही, इन महिलाओं ने अपनी मेहनत के बल पर और वन विभाग की योजनाओं से जुड़कर आज वनोपज महुआ से आर्थिक तरक्की की राह तय की है, जिसके लिए इन महिलाओं को प्रतिमाह 8 से 10 हजार की आर्थिक सहायता हो रही है।

महुआ प्रसंस्करण केंद्र के टेक्नीशियन देवेश जंघेल ने कहा कि समय-समय पर महिलाओं को महुआ के विभिन्न उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें हाल ही में महुआ कुकीज और महुआ लड्डू काफी बेहतर उत्पाद साबित हुआ है। वहीं महुआ से निर्मित इन उत्पादों के सेवन से बेहतर स्वास्थ्य का निर्माण भी होता है।

Mahua से महिलाओं को मिला रोजगार

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वनांचल क्षेत्र में अब तक महुआ को ज्यादातर शराब बनाने में उपयोग किया जाता रहा है लेकिन महुआ से बनने वाले बिस्किट, अचार, चटनी, शरबत लड्डू जैसे उत्पादों को देखकर अब इस महुआ का सदुपयोग कर अधिक लाभ अर्जित किया जा रहा है। वनधन विकास योजना के तहत वनांचल क्षेत्र के लोग महुआ एकत्रित करने में लगे हुए हैं और इन महुआ को अब शराब के लिए नहीं बल्कि बेहतर सेहत के लिए उपयोग किया जा रहा है।

राजनांदगांव शहर के महुआ प्रसंस्करण केंद्र में तैयार किए जा रहे महुआ के लड्डू हाल ही में शुरू हुए छत्तीसगढ़ शासन की धनवंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर पर भी उपलब्ध है। महुआ के इस खाद्य उत्पाद को बनाने के लिए जय मां फिरन्तीन महिला समूह की 7-8 महिलाएं और अन्य पुरुष इन कार्यों में लगे हुए हैं। वहीं दीपावली पर्व के लिए विशेष तौर पर तैयार किए गए 1000 किलो महुआ के लड्डू को रात दिन की मेहनत में 30 से 40 महिलाओं ने तैयार किया है।

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