“असली मसाले सच-सच” ये टैग लाइन बच्चे-बच्चे के जुबान पर है। ये लाइन MDH मसाले की पहचान है। मसाले के इस एड में सभी ने देखा होगा की एक बुजुर्ग आदमी दिखाई देते हैं। पर वे अब नहीं दिखेंगे।

उस बुजुर्ग आदमी का नाम महाशय धर्मपाल गुलाटी है। लंबी बीमारी के बाद धर्मपाल गुलाटी का निधन चन्नन अस्पताल में हो गया। इनकी उम्र 98 साल थी।

98 साल के धर्मपाल गुलाटी ने एमडीएच को खड़ा करने का सफर महज 1500 रूपये से शुरू किया था। आज वे 2,000 करोड़ के मालिक है।

इनके जीवन में पैसा नाम अवॉर्ड की कोई कमी नहीं है। धर्मपाल को पद्म भूषण से नवाजा गया था। कहते है एफएमसीजी सेक्टर में सबसे अधिक वेतन पाने वाले CEO थे। इन्हें 25 करोड़ माह वेतन मिलता था।

MDH..

धरमपाल के चेहरे पर सदा एक अलग ही रौनक रही। इसका राज बताते थे हमेशा हंसते रहना। कहते थे ‘मैं कभी भी तनाव में नहीं रहता। बड़ी से बड़ी परेशानी झेली लेकिन माथे पर शिकन नहीं आने दी।’ यह ही अपने लोगों को सिखाता हूं। इसलिए पार्क में लाफ्टर क्लास लगती है। वहीं बोर्ड मीटिंग्स में भी अपने कर्मचारियों को हंसाता रहता हूं। इससे उनका भी फायदा होता है और मेरी भी एक्सरसाइज हो जाती है। वह कहते थे किसी को भी बैठे नहीं रहना चाहिए। जीवन में योग और चलते-फिरते रहना चाहिए। यह कोई अपना ले तो उसकी लाइफ सेट है।

धर्मपाल गुलाटी के निधन पर लोग इनके खुशमिजाज नेचर और स्वास्थ्य रहने के तरीकों को याद कर रहे हैं। कहा जाता है कि धर्मपाल गुलाटी हमेशा हसने वाले व्यक्ति थे। साथ ही आपने आस-पास के लोगो को भी खूब हसाया करते थे।

वे अपने फिटनेस को लेकर काफी सीरियस रहते थे। सुबह-सुबह उठकर पंजाबी बीट पर कसरत करते थे। दिन की शुरूवात पराठों के साथ होती थी। वे मॉर्निग वॉक पर जाना कभी नहीं भूलते थे। दिनभर काम करने के बाद फिर शाम को मॉर्निग वॉक पर निकल जाते थे। और रात में मलाई रबड़ी खाते थे। इनती उम्र होने के बाद भी वे कहते थे, अभी तो मैं जवा हूं..

11

पाकिस्तान के सियालकोट में 27 मार्च को जन्म हुआ। स्कूल गए लेकिन मन नहीं लगता था। जैसे-तैसे 5वीं तक पढ़ा। फिर पिताजी ने अपनी मसाले की दुकान में काम के लिए लगा दिया। 1942 में शादी हो गई। पार्टिशन के दौरान सियालकोट छोड़ना पड़ा। अमृतसर पहुंच गए।

यहां मन नहीं लगा। बड़े भाई और रिश्तेदार के साथ दिल्ली आ गए। काम-धंधा न मिला तो तांगा चलाने लगे। उससे भी मन ऊब गया। मन मसालों के पुराने कारोबार के लिए प्रेरित करता था। फिर अजमल खां रोड पर खोखा बनाकर दाल, तेल, मसालों की दुकान शुरू कर दी। तजुर्बा था, इसलिए काम चल निकला।

MDH...

महाशय को चकाचौंध की दुनिया में रहना बेहद पसंद था। टीवी विज्ञापनों में उनका आना अचानक ही हुआ जब विज्ञापन में दुल्हन के पिता की भूमिका निभाने वाले ऐक्टर मौके पर नहीं पहुंचे। गुलाटी याद करते हैं, ‘जब डायरेक्टर ने कहा कि मैं ही पिता की भूमिका निभा दूं तो मुझे लगा कि इससे कुछ पैसा बच जाएगा तो मैंने हामी भर दी।’ उसके बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। तब से गुलाटी एमडीएच के टीवी विज्ञापनों में हमेशा दिखते रहे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here