विवादास्पद मीट कारोबारी मोईन कुरैशी को मंगलवार (12 दिसंबर) को दिल्ली की एक अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ज़मानत दी। दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में मोईन की ज़मानत अर्ज़ी पर सुनवाई हुई जिसके बाद विशेष न्यायाधीश अरूण भारद्वाज की कोर्ट ने उसे ज़मानत दे दी।

कुरैशी को 25 अगस्त को अवैध विदेशी मुद्रा सौदे और कर चोरी के आरोपों पर मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत पिछले साल दर्ज हुए केस के बाद गिरफ्तार किया गया था।

पिछली सुनवाई (4 दिसंबर) के दौरान मोईन कुरैशी के वकील ने कहा था कि इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपनी जांच पूरी कर ली है और अब उन्हें जेल में और रखने का कोई औचित्य नहीं है इसलिए उन्हें ज़मानत दे दी जाए। हालांकि ईडी की तरफ से पेश हुए वकील नवीन मत्ता ने मोईन कुरैशी की ज़मानत का विरोध करते हुए कहा कि अगर ज़मानत दी गई तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।

जांच एजेंसी ने दावा किया था कि उसके पास कुरैशी के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। एजेंसी के मुताबिक गवाहों ने पूछताछ के बाद अपने बयान में कबूल किया है कि वह कुरैशी के लिए काम करते थे और उन्होंने उस के लिए करोड़ों रुपये डिलीवर किए। एक गवाह ने तो यह भी बताया है कि उसने सीबीआई के एक मामले में 1.75 करोड़ रुपये पहुंचाए थे। दावा यह भी किया गया कि कुरैशी दिल्ली के हवाला कारोबारियों से जुड़ा रहा है और उसने हवाला ऑपरेटर परवेज अली और ग्रेटर कैलाश-1 में मैसर्स दक्षिण दिल्ली मनी चेंजर (DAMINI) के जरिए हवाला लेनदेन किया है।

मोइन अख्तर कुरैशी ने कोर्ट में एक आवेदन दाखिल कर यह भी कहा था कि उसे जेल में गैंगस्टर नीरज बवाना से खतरा है और उसे बवाना से धमकियां मिल रही हैं। इस आवेदन पर भी कोर्ट ने तिहाड़ जेल के अधिकारियों से स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी।

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