केरल विधानसभा चुनाव की तैयारी करने में भाजपा जुट गई है। राज्य में अप्रैल-मई में चुनाव होने वाला है। इसी तर्ज पर बीजेपी वहां रविवार से ‘विजय संकल्प यात्रा’ निकाल रही है। यात्रा का साथ देने क लिए दिल्ली में मेट्रो का सपना पूरा करने वाले यानी की मेट्रो मैन ई. श्रीधरन होंगे। 21 फरवरी को ई. श्रीधरन पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगे। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन, कासरगोड से जब इस यात्रा को लेकर रविवार को श्रीधरन के गृहनगर मल्लापुरम पहुंचेंगे, तो ‘मेट्रोमैन’ भी भाजपा और उसकी यात्रा के सहभागी हो लेंगे।

METROMAN

श्रीधरन बीजेपी का दामन थामने वाले हैं इस खबर के बाहर आते ही ई. श्रीधरन खबरों के सुर्खियों में छाए हैं। इस दौरान एक अधिकारिक अखबार ने उनसे कुछ खास बातचीत की है।

श्रीधरन की उम्र 88 साल है। इस उम्र में भारत में लोग रिटायरमेंट का लुत्फ लेते हैं। लेकिन मेट्रो मैन राजनीति में कदम रखने जा रहे हैं। श्रीधरन से उम्र को लेकर जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि, मैं सत्ता का भूखा नहीं हूं। जीवनभर राष्ट्रनिर्माण के लिए निरंतर काम किया है। अब भी यही करना चाहता हूं। बची जिंदगी राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की विचारधारा को मजबूत करने के लिए समर्पित करना चाहता हूं। रही बात चुनाव की, पार्टी कहेगी तो किसी भी जगह से लड़ने के लिए तैयार हूं। हालांकि मेरी प्राथमिकता मेरा गृहक्षेत्र मल्लापुरम ही होगा।

राजनीति में रखते हुए कदम के बारे में श्रीधरन कहते हैं। मैं 2011 में रिटायर होने के बाद से ही लोगों के लिए काम करना चाहता था। अकेले काम करने में अक्षम महसूस कर रहा था। इसलिए राजनीतिक क्षेत्र में जाने पर विचार किया। वो आगे कहते हैं केरल में सत्तारुढ़ वाम दल और विपक्षी कांग्रेस के गठबंधन, दोनों ने निराश किया। राष्ट्रीय हित इनके एजेंडे में नहीं है। इनके नेता सिर्फ अपने लिए काम कर रहे हैं। मैंने महसूस किया कि भाजपा से मेरी विचारधारा मिलती है। भाजपा एक मात्र ऐसी पार्टी है जिसके साथ मैं खुद को जोड़ सकता हूं।

श्रीधरन का कहना है कि, वे देशहित में राजनीति में कदम रख रहे हैं। वे बताते हैं। आज भारत के विरोध में काम कर रही ताकतें भारत की छवि दुनिया में धूमिल करने की मुहिम चला रही हैं। दुर्भाग्य से देश की विपक्षी पार्टियों ने भी इस मुहिम को समर्थन दे रखा है। यह सब मात्र भाजपा के अंधे-विरोध में किया जा रहा है।

कई मेट्रो प्रोजेक्ट पर काम करने के दौरान श्रीधरन पर राजनीतिक दबाव भी था। इस पर ई. श्रीधरन कहत हैं,  मैंने अपने प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए अपना सर्वोत्तम देने की कोशिश की। कभी-कभी मतभेद हुए। राजनीतिक दबाव भी आए। लेकिन मैंने मतभेदों तो पाटने की कोशिश की। कभी उन्हें बढ़ने नहीं दिया।

वाम दलों के साथ काम करने वाले श्रीधरन अपने अनुभव को शेयर करते हुए कहते हैं। बीते 5 वर्षों में कोच्चि मेट्रो और पलारीवट्टोम रोड ओवरब्रिज के सलाहकार के तौर पर मेरा योगदान बहुत सीमित रहा है। भ्रष्टाचार और विशेषज्ञता की कमी के कारण मेरे रिश्ते अस्थाई हो गए थे। वैसे भी दोनों प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं और मैं जिम्मेदारी से मुक्त हूं। मेरे जुड़ाव को वाम दलों के प्रति मेरे झुकाव के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।

ई श्रीधरन को यू ही मेट्रो मैन नहीं कहा जाता है। इन्होंने बहुत कम समय के भीतर दिल्ली मेट्रो के निर्माण का कार्य किसी सपने की तरह बेहद कुशलता और श्रेष्ठता के साथ पूरा कर दिखाया है। देश के अन्य कई शहरों में भी मेट्रो सेवा शुरु करने की तैयारी है, जिसमें श्रीधरन की मेधा, योजना और कार्यप्रणाली ही मुख्य निर्धारक कारक होंगे। केरलवासी श्रीधरन की कार्यशैली की सबसे बड़ी खासियत है एक निश्चित योजना के तहत निर्धारित समय सीमा के भीतर काम को पूरा कर दिखाना।

समय के बिलकुल पाबंद श्रीधरन की इसी कार्यशैली ने भारत में सार्वजनिक परिवहन को चेहरा ही बदल दिया। 1963 में रामेश्वरम और तमिलनाडु को आपस में जोड़ने वाला पम्बन पुल टूट गया था। रेलवे ने उसके पुननिर्माण के लिए छह महीन का लक्ष्य तय किया, लेकिन उस क्षेत्र के इंजार्च ने यह अवधि तीन महीने कर दी और जिम्मेदारी श्रीधरन को सौंपी गई। श्रीधरन ने मात्र 45 दिनों के भीतर काम करके दिखा दिया

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