Muslim Personal Law Board ने कहा, लड़कियों की शादी में दहेज की जगह Property में हिस्सा दें

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Muslim Personal Law Board कई बार दहेज को गैर-इस्लामिक करार दे चुका है। देश में मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन पर्सनल लॉ बोर्ड (Personal Law Board) की बैठक हुई। इस बैठक में बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी ने अफसोस जताते हुए कहा कि मुसलमानों ने इस्लाम धर्म को नमाज तक ही सीमित कर दिया है और सामाजिक मामलों की उपेक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा कि शादियों में दहेज देने के बजाए प्रॉपर्टी में उसका हक दिया जाए। कोरोना (Corona) के चलते यह बैठक ऑनलाइन के ज़रिए करने का फैसला लिया गया था। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दहेज (Dowry) प्रथा को पूरी तरह से बंद करने के लिए मुसलमानों से अपील की है। 

इस्लाम में दहेज लेना और देना दोनों की मनाही

Muslim Personal Law Board ने कहा कि इस्लामी धर्म को बदनाम किया जा रहा है। मुसलमानों को इस रीति-रिवाजों से बचना चाहिए। बता दें कि इस्लाम में दहेज लेना और देना दोनों की मनाही है। इसके बावजूद भारत में मुसलमानों के यहां भी शादियों में दहेज का चलन है। यह मसला हर दौर में बहस का मुद्दा रहा है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कई बार दहेज को गैर-इस्लामिक करार दे चुका है। लेकिन फिर भी यह रीति-रिवाज खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। यही वजह है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दहेज प्रथा को पूरी तरह से बंद करने के लिए मुसलमानों से अपील की है। 

शिक्षित करने के लिए महिला समिति का गठन

सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि शादी को सुविधाजनक बनाने के लिए सामाजिक दबाव बनाया जाना चाहिए और महिलाओं को शिक्षित (Educated) करने के लिए एक महिला समिति का गठन (Women Committee Formation) किया जाना चाहिए। इस अभियान को समर्थन देने के लिए जमात-ए-इस्लामी इंडिया मौजूद है। हजरत मौलाना अब्दुल्ला ने सुझाव दिया कि विवाह समारोह को सरल तरीके से करने के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जमीयत उलेमा इस संबंध में अपना पूरा समर्थन देंगा।

इस्लाम को सिर्फ नमाज तक सीमित ना रखें

इस दौरान बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी ने अफसोस जताते हुए कहा कि मुसलमानों ने इस्लाम धर्म को नमाज तक ही सीमित कर दिया है और सामाजिक मामलों की उपेक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा कि शादियों में दहेज देने के बजाए प्रॉपर्टी में उसका हक दिया जाए।

उन्होंने कहा कि मुसलमानों को सामाजिक रीति-रिवाजों से बचना चाहिए और अपनी हैसियत के अनुसार शादी करें। शादी में दहेज देने के बजाए जायदाद में लड़की को उसका हक दिया जाए। शादी के दौरान इस्लामी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए ताकि कोई मुस्लिम लड़की अपने घर में अविवाहित न बैठे। मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने कहा कि मौलाना वली रहमानी की देखरेख में देश भर में एक आसान विवाह अभियान शुरू किया गया था, जिसके तहत दर्जनों शादियां कराई गईं।

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