देश और देश से जुड़ी हर चीज का सम्मान सबसे पहले है। उसके बाद धर्म, जाति और भाषा आदि आता है। यही विविधताओं वाले भारत की एकता की सबसे बड़ी शक्ति है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी राष्ट्रगान को धर्म, जाति, संप्रदाय आदि से आगे रखा और यही हमारा संविधान भी कहता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राष्ट्रगान गाने से छूट  मांगने वाली याचिका को लेकर मदरसों को करारा झटका दिया है। अदालत ने मदरसों में राष्ट्रगान गाने के योगी सरकार के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है।

बुधवार को कोर्ट ने कहा कि मदरसों में राष्ट्रगान गाया जाना अनिवार्य है। हमें अपने राष्ट्रगान और राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का सम्मान करना चाहिए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, ‘राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज  का सम्मान करना सभी नागरिक का सवैधानिक कर्त्तव्य है। लिहाजा जाति, धर्म  और भाषा के आधार पर इसमें किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जा सकता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की खण्ड पीठ ने आदेश दिया कि  मदरसों को राष्ट्रगान गाने से छूट नहीं है।

बता दें कि 6 सितंबर 2017 को योगी सरकार ने फैसला सुनाया था कि मदरसों में अब से राष्ट्रगान अनिवार्य होगा। इसी को लेकर याचिकाकर्ता अलाउल मुस्तफा ने मदरसों को राष्ट्रगान गाने से छूट की मांग को लेकर याचिका दाखिल की थी। किंतु कोर्ट ने इस मांग को ठुकराते हुए कहा कि राष्ट्रगान गाना हमारा कर्तव्य है और हमें इसका सम्मान करना चाहिए।

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