NEET परीक्षा में हुई धांधली के मामले में स्टेटस रिपोर्ट मांगने वाली याचिका SC ने की खारिज

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Supreme Court
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NEET UG 2021 परीक्षा में हुई धांधली के मामले में स्टेटस रिपोर्ट मांगने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। याचिका खारिज करते हुए जस्टिस एल नागेश्वर राव ने कहा कि इस मामले में हस्तक्षेप किए जाने से परीक्षा के बारे में भ्रम और संदेह पैदा होगा और यह छात्रों के हित में नहीं होगा।

भ्रम की स्थिति बन सकती है: सुप्रीम कोर्ट

मामले में याचिककर्ता की ओर से पेश वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि हम परीक्षा रद्द करने की मांग नहीं कर रहे हैं। हमारी मांग है कि चारों FIR की जांच की रिपोर्ट दी जाए। इसके लिए कोर्ट ने मना कर दिया। जस्टिस राव ने कहा इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते, अगर कोई ऑब्जर्वेशन देते हैं तो उसके कई अर्थ निकाले जा सकते हैं। जिसकी वजह से भ्रम की स्थिति बन सकती है।

परीक्षा रद्द करने की मांग वाली याचिका भी खारिज

दरअसल NEET UG प्रवेश परीक्षा में धांधली को लेकर चार राज्यों में दर्ज प्राथमिकी में जांच पर एक स्थिति रिपोर्ट की मांग की गई थी। जिस पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका को वापस लेने की अनुमति दे दी। वहीं आज धोखाधड़ी, कदाचार, नकल और पेपर लीक के कथित उदाहरणों का हवाला देते हुए 12 सितंबर, 2021 को आयोजित राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा स्नातक परीक्षा (NEET UG) को रद्द करने की मांग वाली एक याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।

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जस्टिस एल नागेश्वर राव और बीआर गवई की बेंच ने कहा कि इस स्तर पर परीक्षा रद्द करना बड़ी संख्या में छात्रों के लिए हानिकारक होगा। 13 NEET उम्मीदवारों द्वारा दायर याचिका में NEET UG 2021 में कथित कदाचार के संबंध में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्यों से एक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट मांगने का निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने यह भी प्रार्थना की कि एक नई परीक्षा आयोजित की जाए।

अधिवक्ता ममता शर्मा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि भले ही छात्रों को अवैध रूप से लाभ मिले, यह घोर अन्याय होगा। याचिकाकर्ता ने “RENEET” के लिए प्रार्थना करते हुए कहा कि मानक सुरक्षा प्रोटोकॉल और छात्रों के बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण में सुधार किया जाना चाहिए।

याचिका में वर्तमान याचिका का निपटारा होने तक NEET UG 2021 के परिणामों की घोषणा पर रोक लगाने की भी मांग की गई है। शीर्ष अदालत ने इससे पहले 4 अक्टूबर को इसी तरह की याचिका खारिज कर दी थी।

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