बहुविवाह और हलाला के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं को संविधान पीठ को भेज दिया है। क्या बहुविवाह और हलाला अंसवैधानिक है अब यह पांच जजों की बेंच तय करेगी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार(26 मार्च) को केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांग है।

सुप्रीम कोर्ट में दायर चार याचिकाओं में बहुविवाह और हलाला को असंवैधानिक करार देने की मांग की गई है। दिल्ली की नफीसा खान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर बहुविवाह और हलाला को असंवैधानिक करार दिए जाने की मांग की है। इससे पहले भी बहुविवाह और हलाला के खिलाफ याचिकांए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हैं। इसमें एक याचिका संभल की एक महिला की है जो दो बार इंस्टेंट ट्रिपल तलाक का दर्द झेल चुकी है। समीना ने अपनी याचिका में कहा है कि  मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937 की धारा 2 को संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन करने वाला घोषित किया जाए क्योंकि ये बहु विवाह और निकाह हलाला को मान्यता देता है।

वकील अश्वनी उपाध्याय ने भी ऐसी ही एक याचिका दायर कर रखी है। अश्वनी ने अपनी याचिका में कहा है कि हलाला और बहुविवाह मुस्लिम महिलाओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं।

क्या है निकाह हलाला

निकाह हलाला के मुताबिक जब एक शख्स अपनी पत्नी को तलाक देने के बाद उससे फिर से शादी करना चाहता है, तो तलाकशुदा पत्नी को निकाह हलाला की प्रकिया से गुजरना होगा। इसके लिए उसे  फिर से एक दूसरे शख्स के साथ निकाह करना होगा ,और उसके साथ संबंध बनाने के बाद ही उसे तलाक लेना होगा। इसके बाद ही वो फिर से अपने पहले पति से दुबारा निकाह कर सकती है।

क्या है बहुविवाह

इसके तहत मुस्लिम शख्स को एक साथ  चार शादी करने की इजाज़त है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक के साथ-साथ बहु विवाह और निकाह हलाला जैसी परंपराओं को एक साथ संविधान पीठ के सामने सुनवाई के आदेश दिया था लेकिन संविधान पीठ ने सिर्फ ट्रिपल तलाक पर सुनवाई की और बाकी दोनों पर अलग से विचार की बात कही थी। अब इन मामलों पर सुनवाई के लिए नई संविधान पीठ का गठन होगा।

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