बेसहारा बच्चों की मां पद्मश्री Sindhutai Sapkal का निधन

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जानीमानी सामाजिक कार्यकर्ता और बेसहारा बच्चों की मां कही जाने वाली पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित सिंधुताई सपकाल का निधन हो गया। 73 साल की उम्र में मंगलवार को उनका देहांत हुआ। सिंधुताई यानी मां कहकर बुलाई जाने वाली सिंधु सपकाल ने अपना पूरा जीवन बेसहारा बच्चों की अच्छी परवरिश में गुजार दिया।

Sindhutai Sapkal के आश्रम में इस समय 1400 से ज्यादा बच्चों की परवरिश हो रही है। सिंधुताई की इसी सेवाभाव को देखते हुए साल 2021 में भारत सरकार ने उन्हें समाज सेवा के क्षेेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया था।

Sindhutai Sapkal का इलाज पुणे के एक अस्पताल में चल रहा था

जानकारी के मुताबिक कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित सिंधुताई का इलाज पिछले डेढ़ महीने से पुणे के गैलेक्सी हॉस्पिटल में चल रहा था। मंगलवार की देर शाम 8.30 बजे डॉक्टरों ने उनके निधन की पुष्टि की। पुणे में आज पूरे राजकीय सम्मान के साथ Sindhutai Sapkal का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सिंधुताई के निधन पर दुख जताते हुए अपने शोक संदेश में कहा कि Sindhutai Sapkal का जीवन साहस, समर्पण और सेवा की प्रेरक गाथा था। वह अनाथों, आदिवासियों और हाशिए के लोगों से प्यार करती थीं और उनकी सेवा करती थीं। उनके परिवार और अनुयायियों के प्रति मेरी संवेदनाएं।

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंधुताई के देहांत पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि डॉक्टर सिंधुताई सपकाल को समाज के लिए उनकी नेक सेवा के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने हाशिए के समुदायों के बीच भी बहुत काम किया। उनके निधन से आहत हूं। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। शांति।

सिंधुताई का जन्म महाराष्ट्र के वर्धा में हुआ, पुराने परवेश के कारण सिंधुताई को परिवार में बेटी होने के कारण भेदभाव झेलना पड़ा। सिंधुताई के माता-पिता ने उनके स्कूल जाने के विरोध किया, जिसके कारण वो ज्यादा पढ़ाई-लिखाई न कर सकीं।

12 साल की उम्र में घरवालों ने Sindhutai Sapkal की शादी कर दी थी

12 साल की उम्र में परिवार वालों ने उनकी शादी कर दी। पति सिंधुताई से करीब 20 साल बड़ा था। पति सिंधुताई को प्रताड़ित करता, गालियां देता और उनके साथ मारपीट भी करता था। जब वह 9 महीने की गर्भवती थीं तो उसने उन्हें छोड़ दिया। उन्हें गौशाला में अपनी बच्ची को जन्म देना पड़ा।

इतने सारे दुखों के बाद सिंधुताई ने जीवन को खत्म कर देने की इच्छा से आत्महत्या करने की सोची। लेकिन फिर आत्महत्या का विचार अपने मन से निकालकर वो अपनी बेटी के साथ रेलवे प्लेटफॉर्म पर भीख मांगने लगीं। इस दौरान वो ऐसे कई बच्चों के संपर्क में आईं जिनका कोई नहीं था।

Sindhutai Sapkal
Sindhutai Sapkal

सिंधुताई को उन बच्चों में उन्हें अपना दुख नजर आया और उन्होंने उन सभी को गोद ले लिया। उन्होंने अपने साथ इन बच्चों के लिए भी भीख मांगना शुरू कर दिया। इसके बाद तो सिलसिला चल निकला और जो भी बच्चा उन्हें अनाथ मिलता, वो उसे अपना लेतीं और उसकी देखभाल से लेकर पढ़ाई तक करवाती थीं। सिंधु ताई ने अनाथ बच्चों का पेट भरने के लिए ट्रेनों और सड़कों पर भीख मांगी।

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सिंधुताई के परिवार में आज के समय में 1400 से ज्यादा बच्चे हैं। उनकी 307 जमाई हैं, 150 बहुएं हैं और 1000 से ज्यादा पोते-पोतियां हैं। उनके नाम पर 6 संस्थाएं चलती हैं जो अनाथ बच्चों की मदद करती हैं। उनके इस काम के लिए उन्हें पद्मश्री समेत 500 से ज्यादा सम्मानों से नवाजा गया। पद्मश्री पुरस्कार मिलने पर सिंधुताई ने कहा कि ये पुरस्कार मेरे सहयोगियों और मेरे बच्चों का है।

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