कैदी नंबर 241383 Navjot Singh Sidhu जेल में कैसे बिताएंगे समय? करवटें बदलते ‘गुरु’ की गुजरी रात

27 दिसंबर 1988 को एक पार्किंग को लेकर सिद्धू की पटियाला निवासी गुरनाम सिंह से बहस हो गई। सिद्धू और उसके दोस्त रूपिंदर सिंह संधू ने कथित तौर पर गुरनाम सिंह को उनकी कार से खींचकर मारा और उन्हें टक्कर मार दी। बाद में उनकी अस्पताल में मौत हो गई।

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Navjot Singh Sidhu
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Navjot Singh Sidhu: कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू अब कैदी संख्या 241383 हैं और उन्हें पंजाब की पटियाला जेल के बैरक नंबर 7 में रखा गया है। कांग्रेस नेता ने शुक्रवार को पटियाला की एक अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें तीन दशक पुराने रोड रेज की घटना में एक साल की जेल की सजा सुनाई है। इस मामले में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। बता दें कि हाई-प्रोफाइल कैदी सिद्धू के प्रतिद्वंद्वी शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया भी उसी जेल में बंद हैं।

Navjot Singh Sidhu
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सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई Navjot Singh Sidhu को सजा

ड्रग्स के मामले में जेल में बंद बिक्रम मजीठिया ने फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव में अमृतसर पूर्व से सिद्धू के खिलाफ चुनाव लड़ा था। दोनों नेता आप की जीवनजोत कौर से चुनाव हार गए थे। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू को एक साल के “कठोर कारावास” का आदेश दिया। बता दें कि सिद्धू हाल ही में राज्य चुनाव में अपनी पार्टी की हार के बाद पंजाब कांग्रेस प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया था। अब नवजोत सिंह सिद्दू को जेल में ही रहना होगा, लेकिन आप जानते हैं कि जेल में कैदियों की दिनचर्या कैसे होती है? अगर नहीं तो आइए यहां हम बताते हैं:

Navjot Singh Siddhu
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कैसे होती है कैदियों के दिन की शुरुआत

कैदियों के लिए दिन की शुरूआत सुबह 5:30 बजे होता है। सुबह 7 बजे, उन्हें चाय के साथ बिस्किट या काले चने परोसे जाते हैं। वहीं सुबह 8:30 बजे लंच के बाद वो काम पर निकल जाते हैं। सभी कैदी शाम 5:30 बजे श्रेणी के अनुसार आवंटित कार्य पूरा करते हैं। शाम 6 बजे रात का खाना (छह चपाती, दाल/सब्जी) दी जाती है। वहीं शाम 7 बजे कैदियों को उनके बैरक में बंद कर दिया जाता है। बता दें कि कैदी रोजाना 30-90 रुपये कमाते हैं। पहले तीन महीनों के लिए, दोषियों को बिना वेतन के प्रशिक्षित किया जाता है।

1988 के विवाद में फंसे Navjot Singh Sidhu

बता दें कि 27 दिसंबर 1988 को एक पार्किंग को लेकर सिद्धू की पटियाला निवासी गुरनाम सिंह से बहस हो गई। सिद्धू और उसके दोस्त रूपिंदर सिंह संधू ने कथित तौर पर गुरनाम सिंह को उनकी कार से खींचकर मारा और उन्हें टक्कर मार दी। बाद में उनकी अस्पताल में मौत हो गई। एक चश्मदीद ने सिद्धू पर गुरनाम सिंह के सिर पर वार करके हत्या करने का आरोप लगाया था। बताते चलें कि सिद्धू को 1999 में एक स्थानीय अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था, लेकिन 2006 में उच्च न्यायालय ने उन्हें गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया और तीन साल जेल की सजा सुनाई। सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में एक अपील दायर की थी, जिसने उनकी सजा को कम कर दिया गया।

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