Punjab New CM: चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) पंजाब (Punjab) के नए मुख्यमंत्री पद के लिए चुने गए है। दो दिन के मंथन और बैठकों के बाद चरणजीत सिंह चन्नी का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए फाइनल कर दिया गया। पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने रविवार की देर शाम ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी और एक तरह से आधिकारिक घोषणा भी कर दी। माना जा रहा है कि चरणजीत सिंह चन्नी सोमवार यानी आज मुख्यमत्री पद की शपथ लेंगे। आइए जानते हैं कौन हैं चरणजीत सिंह चन्नी?
बता दें कि चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब राज्य की चमकौर साहिब सीट से कांग्रेस के विधायक हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने आम आदमी पार्टी के चरनजीत सिंह को करीब 12 हजार वोटों से हराया था। इससे पहले 2012 के चुनावों में उन्होंने करीब 3600 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। चरणजीत सिंह चन्नी युवा कांग्रेस से भी जुड़े रहे हैं और इस दौरान वे राहुल गांधी के करीबी भी माने जाते है।
दलित सिख चेहरा
चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब कांग्रेस में दलित नेताओं में से एक हैं। उन्हें गांधी परिवार का बेहद करीबी माना जाता है। बता दें कि भारत में सबसे अधिक दलित सिख पंजाब में हैं। इनकी संख्या लगभग 32% है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार दलित सिख चेहरा होना उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने के पक्ष में रहा है।
2 अप्रैल 1972 को चमकौर साहिब के पास मकरोना कलां गांव में जन्मे चरणजीत ने शुरूआती शिक्षा सरकारी प्राथमिक स्कूल से की। उनके पिता का नाम एस. हरसा सिंह और माता अजमेर कौर है। उनके पिता ने अपने परिवार को आर्थिक सुरक्षा दिलाने के लिए बहुत संघर्ष किया, जिसके लिए वे मलेशिया भी चले गए। उन्होंने कड़ी मेहनत की और अंततः अपने उपक्रमों में सफल हुए। मलेशिया से लौटने के बाद चन्नी के पिता ने खरड़ शहर में एक टेंट हाउस का व्यवसाय शुरू किया और वहीं के निवासी हो गए।
कॉलेज समय में चन्नी अपने पिता के टेंट हाउस में उनकी मदद किया करते थे। इसके बाद जब स्नातक किया तो इन्होंने एक पेट्रोल पंप खोला। खरड़ नगर परिषद ने चन्नी ने पार्षद का चुनाव लड़कर अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थी और बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी। तत्कालीन मंत्री हरनेक सिंह घंडूआ ने किसी अन्य को नगर परिषद प्रधान बन दिया लेकिन पांच साल बाद चन्नी प्रधान बने।
राहुल गांधी के बेहद करीबी
माना जाता है कि चरणजीत सिंह चन्नी कांग्रेस नेता राहुल गांधी के करीबी हैं और भरोसेमंद भी हैं। वह कांग्रेस विधायक दल के नेता भी रहे हैं। मुख्यमंत्री के लिए उनके नाम को आगे लाकर कांग्रेस ने बीजेपी, अकाली दल, बीएसपी और आम आदमी पार्टी की रणनीति पर पानी फेरने की भी कोशिश की है क्योंकि देश में सबसे ज्यादा दलित वोट पंजाब में हैं। यहां करीब 35 फीसदी दलित वोट हैं और करीब 34 विधानसभा सीट पर इनका प्रभाव दिखाई देता है।