प्रसिद्ध कथाकार रामधारी सिंह दिवाकर को गुरुवार को प्रतिष्ठित श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया। सुविख्यात साहित्यकार मृदुला गर्ग ने यहां एक समारोह में श्री दिवाकर को यह सम्मान प्रदान किया। इसके तहत उन्हें 11 लाख रुपये नकद, प्रशस्ति पत्र और प्रतीक चिन्ह भेंट किया गया। उर्वरक क्षेत्र की सबसे बड़ी सहकारी संस्था इफको के प्रबंध निदेशक उदय शंकर अवस्थी ने दिवाकर को बधाई देते हुए कहा कि खेती किसानी वाले ग्रामीण यर्थाथ पर केंद्रित उनके व्यापक साहित्य आवदान के लिए उन्हें इस सम्मान के लिए चुना गया है। उनका रचना संसार ग्रामीण और किसानी जीवन के इर्द-गिर्द घूमता है।”
रामधारी सिंह दिवाकर जी को वर्ष 2019 का ‘श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान’ मिलने के बहुत बहुत बधाई। ऐसे ही ग्रामीण जीवन को वाणी देते रहें। #IFFCOSahityaSammaan #HindiSahitya #50YearsOfRaagDarbari pic.twitter.com/0qKhi0A8xD
— IFFCO (@IFFCO_PR) January 31, 2019
दिवाकर ने सम्मान के लिये निर्णायक समिति के सदस्यों और इफको के प्रबंध निदेशक उदय शंकर अवस्थी के प्रति आभार जताया। उन्होंने कहा, “अकसर लोग मुझसे पूछते हैं आप गांव में तो नहीं रहते फिर गांव पर कैसे लिख लेते हैं? मैं कहता हूँ गांव पर लिखने के लिए गांव में रहना ही जरुरी नहीं होता।”
मृदुला गर्ग ने श्री दिवाकर को बधाई देते हुये कहा कि किसानों के जीवन को मुखरित करने का जो काम उन्होंने किया है, वह अत्यंत दुर्लभ है। उन्होंने कहा, “मैं सम्मान समिति की आभारी हूँ जिन्होंने यह सम्मान प्रदान करने का मौका मुझे दिया है। इस अवसर पर मैं श्रीलाल को श्रद्धांजलि अर्पित करती हूँ।” कार्यक्रम की शुरुआत प्रसिद्ध लेखिका कृष्णा सोबती को श्रद्धांजलि अर्पित करके की गयी। इस अवसर पर दास्तानगो महमूद फारुकी और दारैन शाहिदी द्वारा श्रीलाल शुक्ल के उपन्यास “राग दरबारी” पर आधारित दास्तानगोई की मनोरम प्रस्तुति की गई।
राग दरबारी का एक उत्कृष्ट अंग्रेज़ी अनुवाद करने का श्रेय सुश्री जूलियन राइट को जाता है। ‘श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान, 2019’ तथा राग दरबारी की स्वर्ण जयंती के अवसर पर इफको इनका अभिनंदन करता है।#IFFCOSahityaSammaan #IFFCOSammaan #HindiSahitya #50YearsOfRaagDarbari pic.twitter.com/9K9Ueg8MoN
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अकादमिक और गैर-अकादमिक दुनिया में लगातार सक्रिय रहने वाले श्री दिवाकर की रचनाओं में ‘नये गाँव में’, ‘अलग-अलग अपरिचय’, ‘बीच से टूटा हुआ’, ‘नया घर चढ़े’, ‘सरहद के पार’, ‘धरातल, माटी-पानी’, ‘मखान पोखर’, ‘वर्णाश्रम’, ‘झूठी कहानी का सच’ (कहानी-संग्रह) और‘क्या घर क्या परदेस’, ‘काली सुबह का सूरज’, ‘पंचमी तत्पुरुष’, ‘दाख़िल–ख़ारिज’, ‘टूटते दायरे’, ‘अकाल संध्या’ (उपन्यास); ‘मरगंगा में दूब’ (आलोचना) प्रमुख हैं।
प्रतिवर्ष दिया जाने वाला यह प्रतिष्ठित पुरस्कार ऐसे रचनाकार को दिया जाता है जिसकी रचनाओं में ग्रामीण और कृषि जीवन से जुड़ी समस्याओं, आकांक्षाओं और संघर्षों को मुखरित किया गया हो। मूर्धन्य कथाशिल्पी श्रीलाल शुक्ल की स्मृति में वर्ष 2011 में शुरू किया गया यह सम्मान अब तक श्री विद्यासागर नौटियाल, श्री शेखर जोशी, श्री संजीव, श्री मिथिलेश्वर, श्री अष्टभुजा शुक्ल, श्री कमलाकान्त त्रिपाठी एवं श्री रामदेव धुरंधर को प्रदान किया गया है।
–साभार, ईएनसी टाईम्स