निरर्थक संसार के अर्थ को खोजने में अस्तित्व के संकट का सामना करता है अल्बर्ट कामू का ‘द स्ट्रेंजर’

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आपने भी कभी न कभी अपने अस्तित्व के बारे में सोचा होगा और कई सवाल मन में उठे होंगे जैसे मेरा जीवन क्यों है, इस जीवन का अर्थ क्या है, जीवन का उद्देश्य क्या है आदि। इस दुनिया में मानव जीवन का अर्थ खोजना अपने आप में दर्शन की एक अलग धारा है। जिसे अस्तित्ववाद कहा जाता है। अस्तित्वादी चिंतन की ही एक धारा है एब्सर्डिज्म। एब्सर्डिज्म के मुताबिक ये दुनिया अर्थहीन और विवेकशून्य है। हालांकि एब्सर्डिज्म उस अस्तित्व के संकट के बारे में अधिक बात करता है जिसका सामना तब होता है जब हम इस संसार का अर्थ तलाशने लगते हैं। जब भी एब्सर्डिज्म की बात होती है तो स्वाभाविक तौर पर फ्रांसीसी लेखक अल्बर्ट कामू का नाम आता है और जिक्र होता है उनकी रचना ‘द स्ट्रेंजर’ का।

द स्ट्रेंजर , 1942 में कामू द्वारा लिखित उपन्यास है। जिसकी गिनती 20वीं सदी के साहित्य के एक क्लासिक के रूप में की जाती है। इस उपन्यास में कई अर्थ छिपे हैं। उपन्यास में मुख्य किरदार मेरसॉल्ट अपने समाज में एक अजनबी है। उसे दुनिया अर्थहीन लगती है और वह इसके प्रति उदासीन है।

उपन्यास में मेरसॉल्ट को अपनी मां की मृत्यु के बारे में पता चलता है, जो एक वृद्धाश्रम में रह रही है। वह उसके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए काम से छुट्टी लेता है, लेकिन अपने आस-पास के लोगों के सामने दुःख या शोक प्रकट नहीं करता है। उसके आस-पास के लोग उसकी इस बात से हैरान होते हैं। अपनी मां के अंतिम संस्कार के अगले दिन वह एक महिला मैरी के साथ एक कॉमेडी फिल्म देखता है। ये बात भी उसके असामान्य होने के बारे में बताती है। वह अपने एक पड़ोसी और दोस्त रेमंड की मदद करता है जिससे रेमंड अपनी प्रेमिका से बदला ले सके। मेरसॉल्ट पुलिस के आगे भी रेमंड के लिए गवाही देता है। मेरसॉल्ट रेमंड की प्रेमिका के प्रति भी कोई सहानुभूति नहीं रखता है।

उपन्यास में मेरसॉल्ट का बॉस उससे पूछता है कि क्या वह पेरिस में काम करना पसंद करेगा और मैरी उससे पूछती है कि क्या वह शादी करना चाहता है। दोनों ही मामलों में, मेरसॉल्ट के मन में इस मामले को लेकर कोई दृढ़ भावना नहीं है। मेरसॉल्ट के पड़ोस में रहने वाला एक वृद्ध सलामानो मेरसॉल्ट को बताता है कि कुछ पड़ोसियों ने मेरसॉल्ट के बारे में बुरी बातें कही थीं। मेरसॉल्ट अपने कार्यों के इस नकारात्मक प्रभाव के बारे में जानकर हैरान होता है।

रेमंड की प्रेमिका का भाई रेमंड को चाकू से घायल कर देता है। बाद में, मेरसॉल्ट रेमंड से ली गई रिवॉल्वर से उसकी प्रेमिका के भाई को मार देता है। मेरसॉल्ट को कैद कर लिया जाता है। जेल जाना मेरसॉल्ट पर खास असर नहीं डालता। वह जेल के हिसाब से ढल जाता है। कई दिनों तक खुद से बात करता है, सोता है, अपनी कोठरी की छोटी खिड़की से बाहर देखता है।

मेरसॉल्ट कभी हत्या से इनकार नहीं करता। अदालत मेरसॉल्ट की शांति और निष्क्रियता को उसकी आपराधिकता और पश्चाताप की कमी मानती है । मेरसॉल्ट को मौत की सजा दी जाती है। मेरसॉल्ट जेल में पादरी से कहता है कि वह ईश्वर में विश्वास नहीं करता है और उसे इस विषय में कोई दिलचस्पी भी नहीं है। वह कहता है कि जीवन और मृत्यु के बारे में उसके पास अंतर्दृष्टि है।

यहां लेखक कामू का अस्तित्वादी चिंतन झलकता है। मेरसॉल्ट का मानना है कि हम सभी एक दिन मरेंगे इसलिए कुछ भी मायने नहीं रखता। मेरसॉल्ट इस दुनिया की उदासीनता को स्वीकारता है और पाता है कि वह ऐसे ही खुश है। ब्रह्मांड के प्रति उसकी उदासीनता उसे ऐसा महसूस कराती है जैसे वह इस रूप में ही उससे जुड़ा है। कामू का नायक समाज में ‘अजनबी’ इसलिए है कि समाज जिस चीज से परिचित है और जिसे अर्थपूर्ण बताता है वह नायक के लिए निरर्थक है।

इस उपन्यास को आप पढ़ेंगे तो कई दार्शनिक सवाल आपके मन में आएंगे। जैसे दुखी क्यों होना है? सहानुभूति क्यों रखनी है? क्यों दृढ़ भावना होनी चाहिए? क्या अच्छा है क्या बुरा है? ईश्वर को जानना क्यों है? आदि।

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