धरती की जन्नत जम्मू कश्मीर में इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला हुआ है। इसे रोशनी लैंड स्कैम नाम दिया गया है। घोटाला पूरे 25 हजार करोड़ का है। रोशनी लैंड स्कैम में जम्मू कश्मीर के बड़े नेताओं का नाम शामिल है। इसमें फ़ारुख़ अब्दुल्ला, महबूबा मुफ़्ती, सुरैश और चौधरी तालिब हुसैन आदि नाम शामिल हैं।

घोटाले में इनका नाम शामिल

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारुख़ अब्दुल्ला की अगुवाई वाली सरकार ने साल 2001 में रोशनी एक्ट  लागू किया था। इस एक्ट के तहत लोगों को उस जमीन का मालिकाना हक देने की योजना बनी, जिस पर उन्होंने अवैध कब्ज़ा कर रखा था।

बदले में उन्हें एक छोटी सी रकम चुकानी थी। इस रकम का इस्तेमाल राज्य में बिजली का ढांचा सुधारने में किया जाता। इसी से इस एक्ट का नाम रोशनी एक्ट। हैरानी की बात तो ये है कि जिस कानून को सरकार ने गरीबों के लिए लागू किया था उसका इस्तेमाल वही सरकार खुद कर रही है। वो भी गलत तरीके से।

वहीं अब्दुल्ला परिवार का शहर के बाहरी क्षेत्र सुंजवां में बना आलीशान बंगला सरकारी जमीन पर खड़ा है। इतना ही नहीं, आरोप है कि उक्त जमीन रोशनी भूमि घोटाले की आड़ में कब्जाई गई थी, जिसकी रूपरेखा खुद फारूक सरकार ने ही खींची थी।

महबूबा मुफ़्ती का नाम शामिल

mehbooba

फ़ारुख़ अब्दुल्ला के बाद अब पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की चेयरपर्सन और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी फंसती दिख रही हैं। खबर के अनुसार महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी ने जम्मू के संजवान इलाके में अवैध ढंग से तीन कनाल सरकारी जमीन पर कब्जा कर पार्टी ऑफिस का निर्माण कराया।

इन दिग्गज नेताओं के साथ-साथ बॉलीवुड में बीते जमाने के बड़े नाम फिरोज खान और संजय खान की बहन दिलशाद शेख ने भी सात कनाल जमीन पर श्रीनगर के इलाके में कब्जा जमाया। दिलशाद ने रोशनी एक्ट का फायदा लिया, लेकिन जमीन नियमित कराने की रकम नहीं जमा कराई। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता असलम मट्टू ने भी रोशनी एक्ट के सहारे एक कनाल सरकारी जमीन पर श्रीनगर में कब्जा किया।

फ़ारुख़ की बहन सुरैश ने भी रोशनी ऐक्ट के जरिये तीन कनाल और 12 मरने जमीन अपने नाम करवाई थी और उसकी सरकारी कीमत भी आज तक सरकारी खजाने में जमा नहीं करवाई गई, जो करीब एक करोड़ रूपये के आसपास है और म्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री बख्शी गुलाम मोहम्मद के परिवार के एक सदस्य ने भी रोशनी एक्ट का फायदा लिया।

image

इस तरह हुआ खुलासा

जम्मू कश्मीर के रिटायर्ड प्रोफेसर एसके भल्ला ने 2011 में एडवोकेट शेख शकील की मदद से रोशनी एक्ट के तहत जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट में आरटीआई फाइल करवाई। भल्ला ने दायर याचिका में सरकारी और जंगली जमीन में बड़ी गड़बड़ी के आरोप लगाए। पूरे कांड का खुलासा 2014 में आई CAG यानी कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट में हुआ।

सीएजी में हुआ खुलासा

CAG ने 2007 से 2013 के बीच जमीन ट्रांसफर करने के मामले में गड़बड़ी की बात कही। CAG की रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार को जिस जमीन के बदले 25,000 करोड़ रुपये मिलने चाहिए थे, उसके बदले उसे सिर्फ 76 करोड़ रुपये ही मिले। बता दें कि इस समय ये मामला कोर्ट में हैं और सीबीआई इसकी जांच कर रही है।

पूरा खेल

रोशन एक्ट लागू होने के बाद 2001 में जमीन पर अतिक्रमण करने वालों को उनका मालिकाना हक देने का काम शुरू हुआ। इसमें 1990 को कट ऑफ मान लिया गया। यानी की जमीन पर जिसने 1990 से कब्जा किया है उसी को मालिकाना हक मिलेगा। शुरुआत में कुछ किसानों को इसका फायदा भी मिला, लेकिन ऐसा हर जमीन के मामले में नहीं किया गया।

समय के साथ यहां पर सरकार बदलती गई और वे अपने अनुसार कानून में बदलाव करते गए इस तरह रोशनी एक्ट में अधिक से अधिक लोग शामिल हो गए और फिर घोटाले का दौर शुरू हुआ। कहते हैं घोटाले का पता जल्द ही चल गया था पर उस समय फ़ारुख़ खुद गद्दी पर थे। इनकी डर के कारण अधिकारियों ने मौन धारण किया था।

इस कहते हैं रोशनी एक्ट

जम्मू कश्मीर में अवैध कब्जे वाली जमीन को खाली कराने के लिए और दूसरी जगह देने के लिए रोशनी एक्ट लाया गया। इस एक्ट के तहत कब्जे वाली जमीन पर व्यक्ति यदि 1990 से रह रहा है तो उसे मालिकाना हक दिया जाएगा और बाकी जमीनों को गरीबों को दिया जाएगा। पर इस कानून का फायदा गरीबों को मिलने के बजाय सरकार को मिला। जम्मू कश्मीर सरकार ने जम कर घोटाला किया और ये इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला बन गया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here