भारत के महान वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा की मौत के पीछे का राज क्या था। ये आज भी एक अनसुलझी पहेली बनी हुई है। उनकी मौत एक हादसा था या हत्या की साजिश, इस राज से पर्दा पूर्ण रूप से उठ नहीं पाया है। लेकिन अगर उनकी मौत के पीछे कोई साजिश रची गई थी तो शक की सूई सीधे अमेरिका की तरफ ही जाती है। जी हां, एक बार फिर यह सवाल उठने लगा है कि क्या सचमुच अमेरिका के खुफिया एजेंसी सीआईए ने भाभा की हत्या करवाई थी या उनकी मौत एक सामान्य प्लेन हादसा थी? TBRNews.org नाम की एक वेबसाइट की रिपोर्ट को देखा जाए तो शक की सूई अमेरिका की तरफ जाती है।

TBRNews.org नाम की वेबसाइट ने 11 जुलाई 2008 को पत्रकार ग्रेगरी डगलस और सीआईए अफसर रॉबर्ट क्राओली के बीच हुई बातचीत छापी है। इस बातचीत में सीआईए अधिकारी रॉबर्ट के हवाले से कहा गया है कि ‘हमारे सामने भारत एक समस्या के रूप में ऊभर रहा था। भारत ने 60 के दशक में आगे बढ़ते हुए परमाणु बम पर काम करना शुरू कर दिया था। उन्‍होंने इस बातचीत में रूस का भी जिक्र किया जो परमाणु कार्यक्रम में भारत की मदद कर रहा था।

भाभा एक ऐसे वैज्ञानिक थे जो भारत को तेजी से एक परमाणु संपन्न देश बनाना चाहते थे। उनका मानना था कि अगर भारत को ताकतवर बनना है तो ऊर्जा, कृषि और मेडिसिन जैसे क्षेत्रों के लिए शांतिपूर्ण नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम शुरू करना होगा। साथ ही सुरक्षी दृष्टि से परमाणु बम भी भारत के पास होना चाहिए। इसी बातचीत में क्राओली जहांगीर भाभा को ‘खतरनाक’ बताता है। वह कहता है कि भाभा वियना एक प्रेस कांफ्रेस में शामिल होने के लिए जा रहे थे और उनकी इस यात्रा से हमारी परेशानी और बढ़ती।  इसी उड़ान के दौरान विमान के कार्गो में रखे बम में विस्फोट हुआ था। बता दें कि वर्ष 1966 में फ्रांस के ऐल्पस पहाड़ियों में विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से महान वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा की मुत्यु हो गई थी। इस हादसे से पूरे भारत को ठेस पहुंची थी, खासकर विज्ञान क्षेत्र से जुड़े लोगों को बहुत ज्यादा दुख हुआ था क्योंकि अगर वो जिंदा होते तो भारत के भविष्य की तस्वीर शायद कुछ और ही होती।

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