उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों  के सातवें चरण में सोनभद्र जिले में मतदान होना है। इस बार यहाँ का मतदान खास है। इसका कारण है इस जिले की दो विधानसभा सीटों का आदिवासियों के लिए आरक्षित होना। उत्तरप्रदेश में आदिवासियों की संख्या तक़रीबन पांच लाख है। लेकिन आज़ादी के दशकों बाद भी इस बिरादरी का कोई भी प्रतिनिधि विधानसभा नहीं पहुँच सका है। इन चुनावों के बाद आदिवासी जनजाति के दो सदस्य विधानसभा में अपने इलाके और बिरादरी का प्रतिनिधित्व करते नजर आएंगे।

उत्तरप्रदेश विधानसभा 2017 से पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने पहली बार सोनभ्रद जिले की दुद्धी और ओबरा विधानसभा सीट को जनजातीय समुदाय के लिए आरक्षित किया है। इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था कि क्यों न मैं जनपद सोनभद्र की 402 ओबरा व 403 दुद्धी सीटों का चुनाव रोक दूं? इसके जवाब में महाधिवक्ता भारत सरकार के यह कहने पर कि न्यायालय चाहे तो चुनाव के बाद भी चुनाव के परिणामों को निरस्त कर सकती है। इस पर न्यायालय ने 22 मार्च 2017 की तिथि सुनवाई के लिए देते हुए अटॉर्नी जनरल से कहा कि यदि 22 मार्च को न्यायालय को लगा कि सीटों का आरक्षण गलत तरीके से किया गया है तो वह चुनाव के परिणाम को निरस्त कर सकती है। इस तरह वर्तमान में ओबरा व दुद्धी सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए ही आरक्षित हैं और अब यहाँ से केवल इसी जनजाति के लोग चुनाव लड़ सकेंगे।

कोर्ट का फैसला आने के बाद महीनों पहले से चुनावी तैयारी में लगे कई नेता यहाँ से निराश हो वापस लौट चुके हैं। सीटों को आरक्षित करने के इस फैसले के बाद धरना प्रदर्शन से लेकर कोर्ट में याचिका दाख़िल कर इसे रद्द करने की मांग भी की जा चुकी है लेकिन अदालत ने फ़िलहाल अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

सोनभद्र जिले की दोनों विधानसभा सीटों पर सभी राजनीतिक दलों ने आदिवासी समुदाय के लोगों को उम्मीदवार बनाया है। दुद्धी विधानसभा सीट से कांग्रेस-सपा गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर अनिल कुमार मैदान में हैं तो बसपा ने विजय गोंड को यहां से टिकट दिया है। भाजपा और अपना दल के गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर सोनेलाल अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। आदिवासी नेता विजय सिंह गोंड जो अब बसपा के नेता हैं वह इस हक़ के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जा चुके हैं। वह इसे आदिवासियों की असली आजादी बताते हैं। जनजातीय बहुल इस जिले में गोंड, धुरिया, नायक, ओझा, पठारी, राजगोंड, खरवार, खैरवार, परहिया, बैगा, पंखा, पनिका, अगरिया, चेरो, और भुइंया इत्यादि जनजातियों के लोग रहते  हैं।

दुद्घी विधानसभा सीट के मतदाताओं में 31 प्रतिशत ओबीसी, 50 फीसदी अनुसूचित जाति एवं जनजाति और 12 फीसदी मुस्लिम हैं। यहाँ इस बार के चुनावों में कुल आठ प्रत्याशी मैदान में हैं। इस सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 3,07,691 है। सोनभद्र की ओबरा सीट की बात करें तो यहाँ से सपा-कांग्रेस गठबंधन ने रवि गोंड को,बसपा ने वीरेंद्र गोंड को और भाजपा ने यहां से संजय गोंड को अपना उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर कुल 3,07,704 मतदाता हैं। इस सीट पर ओबीसी मतदाताओं की संख्या 35 फीसदी है। इसके बाद अनुसूचित जाति एवं जनजाति के 34.72 फीसदी मतदाता हैं। समान्य वर्ग के भी लगभग 25 फीसदी मतदाता हैं।  

निर्वाचन आयोग के सीटों को आरक्षित करने के फैसले के बाद अब आदिवासी बहुल इस जिले को अपने जाति का प्रतिनिधि तो मिलेगा साथ ही विकास में पिछड़े इस इलाके का विकास की संभव हो सकेगा। कम साक्षरता दर और योग्य उम्मीदवारों की दावेदारी न हो पाने की वजह से यहाँ ग्राम प्रधान और अन्य प्रतिनिधियों के लिए आरक्षित पद खाली रह जाते थे। अब आरक्षण के बाद जीतने वाले जनप्रतिनिधियों से विकास की उम्मीद के साथ इनके हक़ की लड़ाई को आगे जारी रखने की जिम्मेदारी भी होगी।

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