गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने को लेकर 111 दिनों से अनशन कर रहे वयोवृद्ध पर्यावरणविद एवं वैज्ञानिक प्रो. जीडी अग्रवाल (स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद) का गुरुवार दोपहर को निधन हो गया। उन्हें बुधवार को हरिद्वार प्रशासन ने ऋषिकेश के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया था।

स्वामी सानंद ने नौ अक्टूबर से जल भी त्याग दिया था। वह गंगा की अविरलता और निर्मलता को लेकर तपस्यारत थे। आज गुरुवार की दोपहर उनका निधन हो गया। एम्स के जनसंपर्क अधिकारी हरीश थपलियाल ने इस बात की पुष्टि की है।

गौरतलब है कि गंगा रक्षा के लिए गत 22 जून से मातृसदन आश्रम में अनशन कर रहे स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद ने नौ अक्‍टूबर से जल का भी त्याग कर दिया था। इसे देखते हुए बुधवार को प्रशासन ने उन्हें फिर ऋषिकेश एम्स में भर्ती करा दिया था। इससे पूर्व भी उन्हें एक सप्ताह के लिए एम्स में भर्ती कराया जा चुका था। प्रशासन व चिकित्सकों की टीम उन्हें एम्बुलेंस से एम्स ले गई थी। इससे पहले प्रशासन ने आश्रम व आस-पास के क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू कर दी थी।

गंगा में अवैध खनन, बांधों जैसे बड़े निर्माण और उसकी अविरलता को बनाए रखने के मुद्दे पर पर्यावरणविद स्वामी सानंद अनशन पर थे। स्वामी सानंद गंगा से जुड़े तमाम मुद्दों पर सरकार को पहले भी कई बार आगाह कर चुके थे और इसी साल फरवरी में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर गंगा के लिए अलग से कानून बनाने की मांग भी की थी। कोई जवाब ना मिलने पर 86 वर्षीय पर्यावरणविद 22 जून को अनशन पर बैठ गए थे।

इस अवधि में वह केवल जल, नमक, नींबू और शहद ले रहे थे। इस दौरान केन्द्रीय मंत्री उमा भारती और नितिन गडकरी ने उनसे अनशन तोड़ने की अपील की थी, लेकिन स्वामी सानंद नहीं माने। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में प्रोफेसर रह चुके जीडी अग्रवाल हालांकि अब स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद के रूप में संन्यासी का जीवन जी रहे थे।

                       -साभार, ईएनसी टाईम्स

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