Taiwan Controversy: US स्पीकर Nancy Pelosi के दौरे पर तनातनी बढ़ी, चीन ने ताइवान पर किया साइबर अटैक

अमेरिका की हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी आज ताइवान दौरे पर जा रही हैं। मगर चीन ये नहीं चाहता उसने इस दौरे का कड़ा विरोध किया है। चीन नहीं चाहता कि अमेरिका ताइवान मामले में दखल दे या उनका कोई भी प्रतिनिधि ताइवान जाए।

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China Taiwan Crisis
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Taiwan Controversy: ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन में फिर से तनातनी बढ़ गई है। इस बार विवाद अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे को लेकर खड़ा हुआ है। खबर है कि अमेरिका से चीन की तनातनी के बीच ताइवान में साइबर अटैक की खबरें हैं। ताइवान सरकार की वेबसाइट डाउन हो चुकी है। यहां फिलहाल 502 server error दिखा रहा है। साथ ही ताइवान के राष्ट्रपति ऑफिस की जो वेबसाइट है उस पर भी हमला हुआ है।

इस साइबर हमले के पीछे चीन का हाथ बताया जा रहा है। दरअसल, अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे से चीन आग बबूला हुआ पड़ा है। इस दौरे को लेकर चीन ने अमेरिका को धमकी तक दे डाली तो अमेरिका ने भी अपनी कमर कस ली है।

Taiwan Controversy: US स्पीकर Nancy Pelosi के दौरे पर तनातनी बढ़ी, चीन ने ताइवान पर किया साइबर अटैक
Taiwan Controversy: US स्पीकर Nancy Pelosi

Taiwan Controversy: नैंसी पेलोसी के दौरे से ताइवान की शांति होगी भंग- चीन

अमेरिका की हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी आज ताइवान दौरे पर जा रही हैं। मगर चीन ये नहीं चाहता उसने इस दौरे का कड़ा विरोध किया है। चीन नहीं चाहता कि अमेरिका ताइवान मामले में दखल दे या उनका कोई भी प्रतिनिधि ताइवान जाए।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हमारी स्थिति स्पष्ट है। हमने अमेरिका को कड़ा विरोध पत्र भेजा है। हम स्पीकर नैन्सी पेलोसी के यात्रा कार्यक्रम पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। अगर अमेरिका गलत रास्ते पर अडिग रहा तो हम अपनी संप्रभुता और सुरक्षा की खातिर कड़े कदम उठाएंगे। चीन ने अमेरिका को इसका परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दी है। चीन का दावा है कि नैंसी के दौरे से शांति भंग होगी और अस्थिरता आएगी।

Taiwan Controversy: US स्पीकर Nancy Pelosi के दौरे पर तनातनी बढ़ी, चीन ने ताइवान पर किया साइबर अटैक
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चीन का कहना है कि उसके और अमेरिका के संबंधों की नींव वन-चाइना सिद्धांत है। ऐसे में चीन ‘Taiwan Independence’ की तरफ उठाए जा रहे अलगाववादी कदमों का विरोध करता है। चीन का मानना है कि अमेरिका या किसी और राष्ट्र को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए। चीन की इन धमकियों के बीच ताइवान भी अलर्ट हो गया है। उनकी फोर्स ने जंग की पूरी तैयारी कर ली है।

उधर, अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट्स की मानें तो चीन की धमकियों के बावजूद पेलोसी अधिकारियों के साथ ताइवान यात्रा पर जाएंगी। पेलोसी चार एशियाई देशों की यात्रा कर रही हैं, सबसे पहले वह सिंगापुर पहुंची हैं। उधर, अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट्स की मानें तो चीन की धमकियों के बावजूद पेलोसी अधिकारियों के साथ ताइवान यात्रा पर जाएंगी। पेलोसी चार एशियाई देशों की यात्रा कर रही हैं, सबसे पहले वह सिंगापुर पहुंची हैं।

Taiwan Controversy: क्या है चीन और ताइवान के बीच विवाद?

बता दें कि ताइवान और चीन के बीच विवाद काफी पुराना है। 1949 में कम्युनिस्ट पार्टी ने सिविल वार जीती थी। तब से दोनों हिस्से अपने आप को एक देश मानते हैं, लेकिन इस पर विवाद है कि राष्ट्रीय नेतृत्व कौन सी सरकार करेगी।

चीन ताइवान को अपना एक हिस्सा मानता है। जबकि ताइवान खुदको पूरा एक अलग देश मानता है। दोनों के बीच तनातनी की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद हुई थी। उस समय चीन के मेनलैंड में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और कुओमितांग के बीच जंग चल रही थी।

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Taiwan Controversy

1940 में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने कुओमितांग पार्टी को हरा दिया था। हार के बाद कुओमितांग के लोग ताइवान आ गए। उसी साल चीन का नाम ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ और ताइवान का ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’ पड़ा।

चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है और उसका मानना है कि एक दिन ताइवान उसका हिस्सा बन जाएगा। वहीं, ताइवान खुद को आजाद देश बताता है। उसका अपना संविधान है और वहां चुनी हुई सरकार है।

ताइवान चीन के दक्षिण पूर्व तट से करीब 100 मील दूर एक आइसलैंड है। चीन और ताइवान, दोनों ही एक-दूसरे को मान्यता नहीं देते। अभी दुनिया के केवल 13 देश ही ताइवान को एक अलग संप्रभु और आजाद देश मानते हैं।

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