तालिबान(Taliban)के कब्जे के बाद अफगानिस्‍तान(Afghanistan) के हालात बद से बदतर नजर आ रहे है। ऐसे में अफगानिस्‍तान से अमेरिकी सेना(US Army) की वापसी की तय सीमा करीब आ गई है। वहीं, आशंका जताई जा रही है कि अमेरिका समेत अन्‍य देशों की सेना की पूरी वापसी सितंबर या उसके बाद तक मुमकिन हो पाएगी। ब्रिटेन ने इसके सीधे संकेत दिए हैं। ब्रिटेन का कहना है कि तालिबान इस बात को लेकर अंतरराष्‍ट्रीय जगत को आश्‍वस्‍त करे कि वो अगस्‍त के बाद होने वाली जवानों की वापसी में कोई अड़ंगा नहीं लगाएगा।

वहीं, दूसरी तरफ तालिबान ने ये कह दिया है कि वो किसी भी हाल में विदेशी सेनाओं की वापसी को अगस्‍त से आगे की समय सीमा देने के लिए तैयार नहीं है।
तालिबान के प्रवक्‍ता जबीहुल्‍लाह मुजाहिद ने एक प्रेसवार्ता के दौरान ये स्पष्ट कर दिया है कि तालिबान अब विदेशी सेनाओं की वापसी में देरी को बर्दाश्‍त नहीं करेगा। लिहाजा उन्‍हें अपनी दी गई तय सीमा तक वापस जाना ही होगा, नहीं तो इसके दुष्‍परिणाम झेलने होंगे। मुजाहिद ने ये भी कहा है कि अमेरिका अपने लोगों को लेकर तय सीमा में ही यहां से चला जाए।

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गौरतलब है कि पिछले साल अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के शासन में तालिबान और अमेरिका के बीच समझौता हुआ था। इसके तहत अमेरिका को 31 मई 2021 तक अपनी सारी सेना के साथ यहां से वापस जाना था। जनवरी में सत्‍ता संभालने वाले जो बाइडन ने इसकी समय सीमा को बढ़ाकर 31 अगस्‍त कर दिया था। उस वक्‍त भी तालिबान ने इस पर आपत्ति जताई थी।


मुजाहिद ने ये भी कहा है कि वो अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और तालिबानी नेता मुल्‍ला अब्‍दुल गनी बरादर के बीच हुई मीटिंग से अवगत नहीं है। हालांकि उन्‍होंने इसका खंडन भी नहीं किया है। उनके अनुसार ऐसा हो सकता है। गौरतलब है कि वाशिंगटन पोस्‍ट ने मंगलवार को इस बात की जानकारी दी थी कि सीआईए चीफ विलियम बन्‍र्स की बरादर से सीक्रेट वार्ता हुई है।

जबीहुल्‍लाह ने ये भी कहा है कि देश में हालात सामान्‍य हो रहे हैं लेकिन काबुल एयरपोर्ट पर हालात लगातार खराब हैं। वहां पर समस्‍या लगातार बनी हुई है। जर्मनी ने कहा है कि पश्चिमी देश या अमेरिका के सहयोगी देश उन सभी अफगानियों को बाहर नहीं निकालने वाले हैं जो काबुल में उनकी सुरक्षा करते आए हैं। जर्मनी के विदेश मंत्री हीको मास की तरफ से ये भी कहा गया है कि 31 अगस्‍त या उससे कुछ दिन बाद की समय सीमा जवानों को काबुल से बाहर निकालने के लिए नाकाफी है।


सरकार बनाने की तैयारी में है तालिबान
दरअसल, कहा ये भी जा रहा है कि तालिबान के डर से लोग अफगानिस्तान छोड़कर भाग रहे हैं। ऐसे में छवि सुधारने की कोशिश कर रहे तालिबान ने अफगान नागरिकों के बाहर जाने पर ही प्रतिबंध लगा दिया है। तालिबान ने हाल ही में ये भी कहा था लोग डर से नहीं भाग रहे हैं, बल्कि वो पश्चिमी देशों में अच्छी जिंदगी जीने के मकसद से जा रहे हैं, क्योंकि अफगानिस्तान में गरीबी है। बता दें कि तालिबान अब सरकार बनाने की तैयारी में है, उसने कैबिनेट भी बना ली है, लिहाजा उसकी मंशा ये भी है कि जल्द से जल्द सबकुछ उसके नियंत्रण में आ जाए।


काबुल से आए 16 यात्रियों कोरोना पॉजिटीव
वहीं, अफगानिस्तान से रेस्क्यू कर लोगों को भारत वापस लाने का मिशन लगातार जारी है। मंगलवार को अफगानिस्तान से दिल्ली वापस लौटे कुल 78 यात्रियों में से 16 कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। जानकारी के मुताबिक, काबुल से गुरुग्रंथ साहिब लेकर लौटे तीन ग्रंथी भी कोरोना वायरस की चपेट में आए हैं। हालांकि, राहत की बात ये है कि सभी में कोरोना वायरस के लक्षण नहीं हैं।

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