सैयद अली शाह गिलानी (Syed Ali Shah Geelani) का 92 साल की उम्र में बुधवार रात 10.30 बजे श्रीनगर (Shrinagar) में उनके घर पर निधन हो गया। तहरीक-ए-हुर्रियत के नेता Syed Ali Shah Geelani जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी राजनीति का चेहरा रहे हैं। वे जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के पाकिस्तान (Pakistan) समर्थक कश्मीरी अलगाववादी नेता थें। मार्च 2018 में उन्हें दिल का दौरा पड़ा था जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद से ही Syed Ali Shah Geelani बीमार चल रहे थे। अपनी बीमारी के कारण उन्होंने पिछले साल राजनीति और हुर्रियत से इस्तीफा दे दिया था। आज सुबह गिलानी को सुपुर्दे खाक कर दिया गया।

उनकी निधन पर शो‍क जताते हुए जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (Peoples Democratic Party) की नेता महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया, “गिलानी साहब के निधन की खबर से अभी दुखी हूं। हम ज्यादातर बातों पर सहमत नहीं हो सके, लेकिन मैं उनकी दृढ़ता और अपने विश्वासों के साथ खड़े होने के लिए उनका सम्मान करती हूं। अल्लाह तआला उन्हें जन्नत नसीब हो और उनके परिवार और शुभचिंतकों के प्रति संवेदनाएं प्रदान करें।”

इमरान खान ने उगला जहर, पाकिस्तान का झंडा आधा झुकवाया

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बुधवार को अलगाववादी समर्थक नेता सैयद अली शाह गिलानी के निधन पर दुख व्यक्त किया और कहा कि “पाकिस्तानी झंडा आधा झुका रहेगा और देश आधिकारिक शोक का दिन मनाएगा”।

इमरान खान ने ट्वीट किया, ’कश्मीरी स्वतंत्रता सेनानी सैयद अली गिलानी के निधन के बारे में जानकर गहरा दुख हुआ, जिन्होंने अपने लोगों और उनके आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए जीवन भर संघर्ष किया। उन्हें कब्जे वाले भारतीय राज्य द्वारा कैद और यातना का सामना करना पड़ा, लेकिन वो दृढ़ पर बने रहे, हम पाकिस्तान में उनके साहसी संघर्ष को सलाम करते हैं और उनके शब्दों को याद करते हैं। हम पाकिस्तानी हैं और पाकिस्तान हमारा है। पाकिस्तान का झंडा आधा झुका रहेगा और हम एक दिन आधिकारिक शोक मनाएंगे।‘

बांदीपुरा में हुआ था जन्म

सैयद अली शाह गिलानी का जन्म 29 सितंबर 1929 को जम्मू और कश्मीर के बांदीपुरा में हुआ था। पहले वह जमात-ए-इस्लामी कश्मीर के सदस्य थे, लेकिन बाद में उन्होंने तहरीक-ए-हुर्रियत की स्थापना की। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी समर्थक दलों के एक समूह ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वह 1972, 1977 और 1987 में जम्मू और कश्मीर के सोपोर से विधायक भी रहे। खराब स्वाास्य्, द की वजह से उन्होंने जून 2020 में हुर्रियत छोड़ दी।

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