मंदिरों के शहर बनारस में ही मंदिरों का वजूद खतरे में है। आरोप है कि काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर बनाने के नाम पर इलाके के लगभग 50 की संख्या में प्राचीन मंदिर और मठ धवस्त किए जा रहे हैं। ये सभी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की सीमा में आने वाले मंदिर-मठ हैं।  काशी विश्वनाथ मंदिर के विस्तारीकरण पथ के लिए वाराणसी के ललिता घाट से विश्वनाथ मंदिर तक दो सौ से अधिक भवन चिन्हित किए गए हैं, जिन्हें तोड़ा जा रहा है ।इस क्रम में काशी की पूरा नक्शा अब बदला जा रहा है। काशी भले ही क्योटो ना बने। लेकिन और भी कुछ ना बन पाएगा।

यह सब काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं और टूरिस्ट्स को सुविधा देने के नाम पर हो रहा है। इस इलाके में टूरिस्ट्स के लिए सुविधा के नाम पर शौचालय भी बनाए जाने हैं। पाथवे लगभग 700 मीटर लम्बा कॉरिडोर होगा। इस प्रोजेक्ट पर लगभग 650 करोड़ का खर्च आना है। तर्क यह दिया गया कि इस रास्ते के चौड़े हो जाने से श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने के बाद आसानी से गंगा के किनारे पहुंच सकेंगे। लेकिन ध्वस्तिकरण अभियान के कारण सरकार के प्रोजेक्ट का जमकर विरोध हो रहा है।

काशी विश्वनाथ मंदिर से ललिता घाट तक 500 मीटर के दायरे में बनने वाले से काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के नाम पर सरस्वती फाटक तक गली के चौड़ीकरण का कार्य होगा। इस योजना में सरस्वती फाटक, लाहौरी टोला, ललिता घाट और मणिकर्णिका के आस-पास के सैकड़ों घरों का इलाका है। जिसमें कई पौराणिक मंदिर हैं तो मोक्ष धाम कही जाने वाली मर्णिकर्णिका घाट पर कुंड भी शामिल हैं ।

लोगों का कहना है कि पौराणिक मंदिर कई हजार साल पुराने हैं और इनको तोड़ा जाना कहीं से सही नहीं है। काशी में हर रोज हजारों देशी विदेशी सैलानी आते हैं। इन गलियों में बनारस की पूरी एक अलग अर्थ व्यवस्था है। वहीं, सैलानी यहां की प्राचीन मंदिरों को देखने आते हैं। यहां के माहौल को कैमरे में कैद करते हैं। कायाकल्प से विदेशी सैलानियों को भी प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर से वंचित रहना पड़ेगा।

इलाके में सरकार ने ड्रोन के जरिए सर्वे करवाया था। इस सर्वे में 46 मंदिर चिन्हित किए। इनमें से कुछ मंदिर काफी चर्चित है जैसे त्रिसंधेश्वर विनायक, करुणेश्वराय मंदिर, गोस्वामी तुलसीदास द्वारा स्थापित आदिसंकट मोचन मंदिर, इंद्रेश्वर महादेव, नीलकंठ महादेव मंदिर शामिल हैं। चिन्हित मंदिरों में वे मंदिर भी शामिल हैं जो पंचक्रोशी यात्रा में आते हैं। काशी में रहने वाले संत और ज्योतिषाचार्य काशी में विकास के नाम पर तोड़े जा रहे हैं मंदिरों को शास्त्रसम्मत नहीं मान रहे हैं। उनका कहना है कि कॉरिडोर के नाम पर कई पौराणिक मंदिर तोड़े जा रहे हैं।

काशी का कायाकल्प अब कलह का मुद्दा बन गया है। सरकार के इरादे भले ही नेक हों। लेकिन स्थानीय लोग और संत इस पहल को नकारते हुए इसका विरोध कर रहे हैं।

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