राष्ट्रीय हस्तशिल्प और हथकरघा संग्रहालय से ऐतिहासिक महत्व की 16 बेशकीमती कश्मीरी शॉल चोरी हो गई हैं। चोरी की इस वारदात के बाद राजधानी में सनसनी मच गई है। चोरी हुई शॉलें साल 1959 से साल 1976 के बीच में कश्मीर से खरीद कर लाई गई थीं। वहीं खबर है कि संग्रहालय में चोरी करने वाला चोर रिसर्चर बनकर आया था और इन शॉल को उड़ा ले गया।

वहीं इस मामले में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि संग्रहालय रविवार और सोमवार को बंद रहता है। मंगलवार को जब शॉलों की गिनती की गई तो उनमें से 16 गायब मिलीं, जिनकी कीमत करोड़ों रुपये है। संग्रहालय अधिकारियों ने बताया कि उन्हें एक व्यक्ति पर शक है, जो पिछले कुछ महीनों से वहां आ रहा है। वह एक शोधकर्ता है।

जानकारी मिलते ही हड़कंप मच गया। आनन-फानन में तिलक मार्ग थाने में शिकायत दी गई। मामला दर्ज कर जांच आरंभ कर दी गई है। संग्रहालय के सुरक्षा कर्मियों ने पुलिस को चोरी की शिकायत के साथ संदिग्ध के फोटोग्राफ्स, सीसीटीवी फुटेज और उसका मोबाइल नंबर भी दिया है।

उधर पुलिस के मुताबिक, चोरी की कॉल मंगलवार सुबह पौने 10 बजे के आसपास आई थी। इससे पहले लगातार दो रात आर्ट गैलरी बंद थी, जहां शॉलें रखी हुई थीं। गैलरी संडे शाम को बंद की गई थी और अगले दिन साप्ताहिक अवकाश होने की वजह से म्यूजियम बंद था। 31 अक्टूबर की सुबह जब गैलरी खुली तो शॉलों की चोरी का हल्ला मचा। सीसीटीवी चेक करने पर पता चला कि शॉलों की चोरी पहले से हो रही थी।

बता दें कि जिस शोधकर्ता पर इस चोरी की आशंका जताई जा रही है वह शख्स शोधकर्ता बनकर बड़े आराम से संग्रहालय में आता-जाता था। रिसर्च के बहाने ही उसने संग्रहालय की वस्तुओं की जानकारी जुटाई और वारदात को अंजाम दिया। यह शख्स वहां काम करने वाले कर्मचारियों पर प्रभाव जमाने के लिए खुद को संग्रहालय का भावी डायरेक्टर बताता था। संग्रहालय पुराने किले के सामने भैरो रोड पर है।

गौरतलब है कि जिन पशमीना शॉलों की चोरी हुई है, वे 1959 से 1976 के बीच कश्मीर से खरीदी गई थीं। उस वक्त ही इन शॉलों की कीमत 25 हजार रुपये से ज्यादा थी।

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