आज भी जब शहनाई की वो मधुर तान कानों में पड़ती है तो मन आत्मविभोर हो उठता है। शहनाई की वह एक-एक फूंक गमगीन हवाओं में सुनहरी तरंगों को बहाती थी। जी हां, हम बात कर रहें हैं महान शहनाई वादक बिस्मिल्ला खां की जिनकी आज 102वीं जयंती है। इस मौके पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है। सर्च इंजन गूगल ने भी अपने डूडल को उन्हें समर्पित कर श्रद्धांजलि दी है। गूगल के होमपेज पर बने इस डूडल को चेन्नै के कलाकार विजय कृष ने बनाया है। देशभर में उनकी स्मृतियों को साझा करने के लिए विविध आयोजन हुए। फातमान स्थित उनके मकबरे पर अकीदत पेश करने शहर के संगीतज्ञों के अलावा प्रशासनिक अमला भी पहुंचा।
शहनाई वादक बिस्मिल्ला खां का जन्म 21 मार्च 1916 को हुआ था। देश-दुनिया में शहनाई को लोकप्रिय बनाने वाले उस्ताद बिस्मिल्लाह खां किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। शहनाई वादन में उन्होंने भारत को दुनिया में अलग मुकाम दिलाया। भारत रत्न के अलावा बिस्मिल्लाह खां को पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्मश्री, तानसेन अवॉर्ड समेत दर्जनों सम्मान मिले. उस्ताद बिस्मिल्लाह खां को 2001 में भारत रत्न, 1980 में पद्म विभूषण, 1968 में पद्म भूषण और 1961 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था। 90 वर्ष की उम्र में उनका देहांत हो गया। कहा जाता है कि उनके जन्म के समय उनके दादा जी ने अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हुए ‘बिस्मिल्लाह’ कहा और उनका नाम बिस्मिल्लाह पड़ गया।
बिस्मिल्ला खां बहुत कम उम्र में ही उन्होंने ठुमरी, छैती, कजरी और स्वानी जैसी कई विधाओं को सीख लिया था। बाद में उन्होंने ख्याल म्यूजिक की पढ़ाई भी की और कई सारे राग में निपुणता हासिल कर ली। बता दें कि 2001 में देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न पाने वाले वह तीसरे क्लासिकल म्यूज़िशयन बने। हालांकि खबरों के मुताबिक, आज उनका परिवार बेहद तंगी के दौर से गुजर रहा है। हालात इस कदर खराब हैं कि उनके पुरस्कारों की कोई देखभाल करने वाला भी नहीं है। उनके तमाम अवॉर्ड में दीमक लग गए हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत की बहरी जनता और सरकार भारत मां के एक महान सपूत को भूल रही है।