35 साल पहले जब बी.आर.चोपड़ा की फिल्म ‘निकाह’ आई थी तब पहली बार भारतीय सिनेमा ने परदे पर निकाह, तलाक और हलाला का दर्द दिखाया गया था। दरअसल इस फिल्म का नाम पहले ‘निकाह’ नहीं बल्कि ‘तलाक, तलाक, तलाक’ था।  आज तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आ गया और कोर्ट ने महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन करने वाले इस नियम को ही असंवैधानिक घोषित कर दिया। पर क्या आप जानते है कि ट्रिपल तलाक और हलाला जैसी कानूनों से सिर्फ सायरा बानो जैसी आम महिलाएं ही पीड़ित नहीं हुई हैं बल्कि ‘ट्रेजडी क्‍वीन’ मीना कुमारी जैसी विख्यात अदाकारा की भी असली ट्रेजडी का कारण यही था ।

भारतीय सिनेमा के पर्दे पर एक अरसे तक अपनी तमाम अदाओं और अंदाज से राज करने वाली अदाकारा मीना कुमारी अपने पति के द्वारा दिए गए तीन तलाक और बाद में हलाला करने से वह मानसिक रूप से टूट गईं थी।

दरअसल मीना कुमारी के पति विख्यात निर्देशक और फिल्म ‘पाकीजा’ के निर्देशक कमाल अमरोही थे। एक बार मीना कुमारी को उनके  पति कमाल अमरोही ने गुस्से में आकर तीन बार तलाक बोल दिया और उनका तलाक हो गया। फिर बाद में पछतावा होने पर उन्होंने मीना कुमारी से  फिर से निकाह करना चाहा लेकिन तब इस्लामी धर्म गुरुओं द्वारा बताया गया कि इसके लिए पहले मीना कुमारी का ‘हलाला’ करना पड़ेगा।

तब कमाल अमरोही ने मीना कुमारी का निकाह अपने दोस्त अमान उल्ला खान यानी जीनत अमान के पिता से करवा दिया। मीना कुमारी को अपने नए शौहर के साथ हम बिस्तर होना पड़ा था और फिर इद्दत यानी मासिक आने के बाद उन्होंने अपने नए शौहर से तीन तलाक लिया और अपने पुराने शौहर कमाल अमरोही से दुबारा निकाह कर लिया।

भले ही मीना कुमारी हलाला कर अपने पति के पास फिर से आ गईं पर वह इस ट्रेजडी से बाहर न आ सकीं। वह इस घटना से मानसिक रूप से इस तरह अशांत हुईं कि शांति की तलाश में उन्होंने शराब को अपना सहारा बना लिया, जो अंत में उनकी असमय मृत्यु का भी कारण बनी।

एक बार ट्रिपल तलाक और हलाला पर मीना कुमारी का दुख भी छलक पड़ा था। इस बात का पता आप उनके इन शब्दों से लगा सकते हैं कि उन्होंने इस घटना के बारे में जिक्र करते हुए लिखा था कि “जब मुझे धर्म के नाम पर, अपने जिस्म को, किसी दूसरे मर्द को भी सौंपना पड़ा, तो फिर मुझमें और वेश्या में क्या फर्क रहा ”  

अंतः इस दर्द से मीना कुमारी को सिर्फ 39 साल की उम्र में 1972 में दुनिया छोड़ना पड़ा।

बरहाल तब मीना कुमारी को तो इंसाफ और इस परम्परा से मुक्ति न मिल सकी। पर आज सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आए इस फैसले से हम उम्मीद करते हैं कि भारत में अब कोई  ट्रिपल तलाक और हलाला का मीना कुमारी जैसी पीड़िता न हो और हर सायरा बानो को ऐसे ही इंसाफ मिलता रहे।

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