दिल्ली से लौटने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत नए उत्साह में नजर आ रहे हैं। कहां दिल्ली उन्हें तलब किए जाने की खबर के बाद उनके विरोधी खुश नजर आ रहे थे। तो कांग्रेस ने तंज कसते हुए कहा था कि प्रदेश बीजेपी और सरकार के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। बीजेपी के कुछ विधायकों ने मुख्यमंत्री के खिलाफ बगावत का झंडा भी बुलंद किया था। लेकिन दिल्ली से लौटने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत चैन की सांस ले रहे हैं। उनके तेवरों से ऐसा नहीं लगता है कि उनकी कुर्सी पर फिलहाल कोई खतरा है।

उन्होंने साफ कर दिया है कि जल्द ही नेताओं को दायित्वों का बंटवारा किया जाएगा। सूत्रों की माने तो दिल्ली की बैठक में सरकार और संगठन में दायित्वों के बंटवारे को लेकर हरी झंडी मिल गई है।

दरअसल, प्रदेश में विधायकों ने बयानबाजी शुरू कर दी थी। हालही में संजय गुप्ता और स्वामी यतीश्वरानंद ने सरकार के खिलाफ बयान दिए थे। कुंवर प्रणव सिंह चैम्पियन भी सरकार के खिलाफ आग उगल चुके हैं। इन विधायकों की नाराजगी से ऐसा लग रहा था कि प्रदेश में बीजेपी के ही कुछ नेता मुख्यमंत्री सीएम के खिलाफ साजिश रच रहे हैं।

हालांकि, खुद सीएम ने इन आशंकाओं को खारिज कर दिया था। सरकार के मुखिया होने के नाते मुख्यमंत्री भले ही अपने खिलाफ साजिशों पर खुल कर नहीं बोल रहे हैं। लेकिन कुछ विधायकों ने सीएम के खिलाफ हो रही साजिशों की आशंकाओं से इनकार नहीं किया और कार्रवाई की बात तक कह डाली।

सीएम और उनके विधायक जो भी कहें। लेकिन इतना तो निश्चित है कि विधायकों द्वारा सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताए जाने से सरकार और संगठन दोनों की किरकिरी हो रही थी। जिसके बाद पार्टी हाईकमान ने मुख्यमंत्री के साथ ही संगठन के प्रमुख होने के नाते प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष अजट भट्ट को दिल्ली तलब किया था। माना जा रहा है कि विधायकों की नाराजगी दूर करने के लिए ही हाईकमान ने सरकार को दायित्वों के बंटवारे के निर्देश दिए हैं।

दरअअसल, पार्टी 2019 चुनाव से पहले नेताओं की नाराजगी को दूर कर देना चाहती है ताकि चुनाव में किसी तरह का रिस्क ना रहे।

                                                                                                                ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन

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