बिहार से एक बेहद ही चौकाने वाला मामला सामने आया है जिसे सुनकर आपको पहली बार में तो यकीन ही नहीं होगा कि क्या ऐसा भी हो सकता है। दरअसल, एक रिपोर्ट में सामने आया है कि बिहार में खुले में शौच के खिलाफ जागरूकता अभियान में अपना सहयोग देने के लिए आत्माएं भी शौचालय जाने लगी हैं। ऐसा हम नहीं, वहां के सरकारी दस्तावेज कह रहे हैं।

बता दें यह मामला आरटीआइ कार्यकर्ता सौरभ तिवारी की शिकायत पर संज्ञान में आया। तिवारी की शिकायत के आधार पर तीन दिन पहले राज्य स्तरीय टीम ने पूरे मामले की गहनता से जांच की, जिसके बाद इसे जिला लोक शिकायत निवारण केंद्र में चुनौती दी गई है। इस बीच शौचालय निर्माण की राशि के भुगतान के एवज में एक अधिकारी द्वारा कमीशन मांगे जाने का कथित ऑडियो वायरल हो गया है। इसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आ गया है।

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आरटीआइ कार्यकर्ता सौरभ तिवारी ने इस मामले में बताया, कि जिले के हथडीहां गांव में एक ऐसे व्यक्ति के नाम पर शौचालय बनवाया गया है, जिनकी मृत्यु नौ वर्ष पहले ही हो चुकी है। वहीं एक अन्य लाभुक सरदार साह का निधन छह वर्ष पहले हो चुका है। श्रीपति तिवारी की मृत्यु भी साढ़े तीन साल पहले हो चुकी है। जब इस मामले की गहनता से जांच की गई तो कई सवाल उठने लगे कि आखिर यह मृतक शौचालय का लाभ लेने के लिए कैसे आए? क्या शौचालय का उपयोग उनकी आत्माएं करती हैं?

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सिर्फ इतना ही नहीं किसी-किसी घर में तो पति व पत्नी दोनों के नाम पर तो किसी मकान में पूरे सदस्यों के नाम पर शौचालय निर्माण करा राशि भुगतान दिखाया गया है। वहीं कई ऐसे भी घर हैं, जहां शौचालय बने ही नहीं हैं। इसके बावजूद भी पूरे गांव को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया है। यह जिले के दावथ प्रखंड की गीधा पंचायत के हथडीहां गांव में स्वच्छ भारत व लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत बने शौचालयों की सच्चाई को बयान करती है।

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