कहीं आप भी Wine को शराब समझने की गलती तो नहीं कर रहे, जानें दोनों के बीच क्या है अंतर?

बात करें वाइन कि तो वाइन एक ऐसी एल्कोहलिक ड्रिंक है, जिसे आमतौर पर अंगूर के जूस के किण्वन (Fermentation) की प्रक्रिया से तैयार किया जाता है।

0
258
Wine and Spirits: कही आप भी Wine को शराब कहने की गलती तो नहीं कर रहे? जानें शराब और वाइन में क्या है अंतर
Wine and Spirits: कही आप भी Wine को शराब कहने की गलती तो नहीं कर रहे? जानें शराब और वाइन में क्या है अंतर

Wine and Spirits: शराब के शौकीन लोग कई तरह के ब्रांड और फ्लेवर की ड्रिंक का सेवन करना पसंद करते हैं। आमतौर पर इन लोगों को ड्रिंक के कई तरह की चीजों में फर्क करना भी आता है। मगर भारत में ज्यादातर ऐसे लोगों की संख्या कम है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अक्सर आपने भारत की कई दुकानों पर लिखा हुआ देखा होगा ‘वाइन शॉप’। आम बोलचाल की भाषा में शराब की दुकान को लोग वाइन की दुकान ही कहते हैं। मगर ये कहना सही नहीं है। सही मायने में इन दुकानों को लिकर( Liquor) या (Spirit) कहना उचित होगा। हालांकि, बहुत लोग ये जानते ही नहीं और वो वाइन को शराब का पर्यायवाची शब्द मानते हैं। लिकर और वाइन दो अलग-अलग चीजें हैं। अब अगर इनका फर्क जानते हैं तो ये जानना भी अहम है कि ये क्यों और कैसे एक-दूसरे से अलग है। साथ ही भारत में ये चलन कब और कैसे चल गया कि शराब को ही वाइन कहा जाए। इन सभी सवालों के जवाब आपको हमारे इस आर्टिकल में…

Wine and Spirits: कहीं आप भी Wine को शराब समझने की गलती तो नहीं कर रहे, जानें दोनों के बीच क्या है अंतर?
Wine and Spirits:

Wine and Spirits: ऐसे चढ़ा लोगों की जुबान पर वाइन का नाम

जानकारों की माने तो पुराने समय में जब शराब की इतनी अलग-अलग किस्में नहीं मिलती थी तो वाइन ही आसानी से मिल जाती थी। साथ ही ये अमीरों और अभिजात्य वर्ग तक ही सीमित था। यह वो वक्त था जब डिस्टिलेशन की प्रक्रिया के लिए उन्नत मशीनों का अविष्कार नहीं हुआ था। वहीं, वाइन बनाने के लिए किसी किस्म की मॉडर्न मशीनगी की जरूरत नहीं थी। ऐसे में उपलब्धता और स्वीकार्यता के परिप्रेक्ष्य में आम लोगों ने वाइन को ही शराब कहना शुरू कर दिया।

समय के साथ औद्योगिक और तकनीकी विकास के साथ-साथ शराब की कई किस्में बाजार में आती गईं जैसे- रम, ब्रांडी, वोदका, व्हिस्की आदि-आदि। लोगों की हैसियत के हिसाब से ये सस्ते से सस्ते और महंगे से महंगे दामों में उपलब्ध हो गईं। अब वाइन से हटकर लोगों को शराब कि ये किस्में बहुत पसंद आने लगी थी। वाइन की तुलना में इनका दाम कम है और ये तुरंत नशा करती है, जबकि वाइन के साथ ऐसा नहीं है। आमतौर पर लोगों के लिए शराब का मतलब केवल नशा करना है इसलिए शराब लोगों को काफी पसंद है।

ऐसे में डिस्टिलेशन की प्रक्रिया से तैयार होने वाले एल्कोहलिक स्पिरिट जैसे वोदका, रम, व्हिस्की से लेकर देसी शराब तक समय के साथ लोगों की पसंद बनते गए। वाइन से वैसा नशा मिलना मुमकिन नहीं इसलिए वो सीमित लोगों की पसंद बन गई। वहीं, दूसरी ओर जिन दुकानों पर शराब की इतनी किस्में बिकने लगी वहां पहले से ही वाइन उपलब्ध थी। चूंकि, लोगों की जुबान पर पहले से ही वाइन का नाम चढ़ा हुआ था तो वही हर किस्म की शराब के लिए इस्तेमाल होने लगा और हर दुकान का नाम वाइन शॉप हो गया। जानकारों का ये भी मानना है कि आम भारतीयों को वाइन कहना कुलीन महसूस कराता है, इसलिए इस शब्द की स्वीकार्यता और ज्यादा है।

Wine and Spirits: क्या होती है वाइन?

Wine and Spirits: कहीं आप भी Wine को शराब समझने की गलती तो नहीं कर रहे, जानें दोनों के बीच क्या है अंतर?
Wine and Spirits:

वैसे तो वाइन और लिकर में एक समानता होती है कि दोनों में ही एल्कॉहल मौजूद होता है, जो नशे की वजह बनता है। वाइन एक एल्कोहलिक ड्रिंक है। मगर ध्यान रहे कि हर एल्कोहलिक ड्रिंक वाइन हो ये जरूरी नहीं है। एल्कोहलिक ड्रिंक वे होते हैं जिसमें नशे के लिए इथाइल एल्कॉहल मिला हो। इन एल्कोहलिक ड्रिंक्स को तीन कैटिगरी में बांट सकते हैं। वाइन, स्पिरिट और बीयर।

बात करें वाइन कि तो वाइन एक ऐसी एल्कोहलिक ड्रिंक है, जिसे आमतौर पर अंगूर के जूस के किण्वन (Fermentation) की प्रक्रिया से तैयार किया जाता है। अगर अंगूर की जगह कोई दूसरा फल इस्तेमाल होता है तो उसे राइस वाइन, पॉमाग्रेनेट वाइ, एल्डरबेरी वाइन के नाम से पुकारा जाता है। वाइन बनाने के लिए कई तरह के फलों और अनाजों का इस्तेमाल होता है इसलिए इसकी भी कई किस्में है। इसमें एल्कॉहल की मात्रा 6-15 प्रतिशत होती है। वाइन मुख्यत: दो प्रकार की होती है एक रेड वाइन और वाइट वाइन। वाइन तैयार करने के लिए डिस्टिलेशन की प्रक्रिया नहीं होती।

Wine and Spirits: स्पिरिट क्या होता है?

Wine and Spirits: कहीं आप भी Wine को शराब समझने की गलती तो नहीं कर रहे, जानें दोनों के बीच क्या है अंतर?
Wine and Spirits:

लिकर या स्पिरिट को तैयार करने के लिए पहले किण्वन और बाद में डिस्टिलेशन की प्रक्रिया अपनाई जाती है। लिकर बनाने के लिए विभिन्न किस्म के अनाज, गन्ना जिनमें प्राकृतिक रूप से शुगर मौजूद हो, का इस्तेमाल किया जाता है। शुरुआत में इन अव्यवों का किण्वन किया जाता है। इसके बाद डिस्टिलेशन की प्रक्रिया से गुजर कर लिकर या स्पिरिट तैयार होता है। डिस्टिलेशन की प्रक्रिया के तहत फमर्टेंटेड अव्यवों को एक गर्म कंटेनर में रखा जाता है। इससे एल्कॉहल वाष्पित होकर कंटेंनर में इकट्ठा होता है और मशीन से ठंडा करने के बाद एल्कॉहल की बूंदें इकट्ठा कर ली जाती हैं।

अब सवाल ये उठता है कि इसका नाम स्पिरिट ही क्यों पड़ा। दरअसल, ये जटिल नाम स्पिरिट लैटिन शब्द Spiritus से बना है। जिसका मतलब है Breath या सांस। इसका कनेक्शन डिस्टिलेशन की प्रक्रिया में कंटेनर में इकट्ठा भाप से है। एल्कोहलिक ड्रिंक्स मसलन- ब्रांडी, रम, वोदका, जिन, टकीला, विस्की, स्कॉच आदि डिस्टिलेशन की प्रक्रिया से तैयार किए जाते हैं। यहीं कारण हैं कि इन्हें स्पिरिट की लिकर श्रेणी में रखा जाता है। वाइन के मुकाबले स्पिरिट्स में पानी की मात्रा कम बल्कि एल्कॉहलिक पर्सेंटेज काफी ज्यादा होती है। व्हिस्की में आमतौर पर एल्कॉहल की तीव्रता 42% होती है। कुछ स्पिरिट तो 90% तीव्रता वाले होते हैं। वहीं, स्पिरिट में तेज एल्कॉहल की वजह से इन्हें वाइन के मुकाबले कम मात्रा में पीया जाता है।

यह भी पढ़ें:

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here