नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की उपासना की जाती है, इनके सर पर घंटे के आकार का चन्द्रमा है, इसलिए इनको चंद्रघंटा कहा जाता है।

यह दिन भय से मुक्ति और अपार साहस प्राप्त करने का होता है। मां चंद्रघंटा के रूप की उपासना की जाती है, सर पर घंटे के आकार का चन्द्रमा जिसके कारण इनको चंद्रघंटा कहा जाता है। दसों भुजाएँ जो की अस्त्र शस्त्र हैं और इनकी मुद्रा युद्ध की मुद्रा से सुशोभित है। तंत्र साधना में मणिपुर चक्र को नियंत्रित करती हैं मां चंद्रघंटा। ज्योतिष में मंगल नामक ग्रह से पर इनका गहरा प्रभाव है। इस नवरात्र मां के तीसरे स्वरूप की उपासना आज की जाएगी।

ये है पूजा विधि

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मां चंद्रघंटा को लाल रंग अत्याधिक प्रिय होता है और इसलिए लाल वस्त्र धारण कर पूजन करना श्रेष्ठ होता है। मां को लाल पुष्प,रक्त चन्दन और लाल चुनरी अर्पित करना सर्वोत्तम होता है। और साथ ही मणिपुर चक्र मजबूत होता है और भय का नाश होता है। अगर पूजा करते वक्त अद्भुत सिद्धियों जैसी अनुभूति होती है तो उस पर ध्यान न देकर आगे साधना करते रहनी चाहिए।

मणिपुर चक्र के कमजोर होने से ये होता है

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व्यक्ति के अंदर की साहस क्षमता को कमजोर करता है साथ ही भय की वृत्ति होती है। यह व्यक्ति के अंदर मोह और माया पैदा करता है, जिससे  व्यक्ति के अंदर ईर्ष्या, घृणा और लज्जा का भाव प्रकट हो जाता है।

साहस प्राप्ति और भय से पाना है मुक्ति

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– मध्यरात्रि में लाल वस्त्र धारण करें।

– पहले अपने गुरु को प्रणाम करें।

– मां दुर्गा के सामने दीपक जलाएं और ज्योति ध्यान करें।

– विधि विधान से दुर्गा कवच का पाठ करें।

– नवार्ण मंत्र का यथाशक्ति जप करें।

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