हर महीने में दो एकादशी व्रत आता है। हर एकादशी व्रत का कोई ना कोई महत्व होता है। आषाढ़ महीने में दो एकादशी व्रत आता है, पहला योगिनी एकादशी व्रत और दूसरा देवशयनी एकादशी व्रत। योगिनी एकादशी व्रत इस वर्ष जुलाई माह के दूसरे सप्ताह में 5 तारीख यानी आज है।

योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पीले पुष्प, पीले फल, बेसन के लड्डू या गुड़ तथा चना का भोग लगाते है,और अक्षत्, धूप, दीप, पीले वस्त्र आदि चीजों के साथ पूजा होती है। पूरे दिन व्रत होता है और भगवान विष्णु की पूजी की जाती है। योगिनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को कुष्ठ रोग से छुटकारा मिल जाता है,और सारे पाप कट जाते है।

योगिनी एकादशी 05 जुलाई दिन सोमवार को पड़ रहा है। आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 04 जुलाई को शाम को 07 बजकर 55 मिनट पर लगी है, जो 05 जुलाई दिन सोमवार को रात 10 बजकर 30 मिनट तक रहेगी। व्रत रहने वाले लोगो का पारण अगले दिन सुबह में होगा। योगिनी एकादशी व्रत का पारण 06 जुलाई दिन मंगलवार को सुबह 05 बजकर 29 मिनट से सुबह 08 बजकर 16 मिनट के मध्य कर लेना होगा।

पूजा करने की विधि

योगिनी एकादशी के दिन प्रात:सुबह स्नान करें पीले रंग का वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद हाथ में जल लेकर एकादशी व्रत और विष्णु पूजा का संकल्प लें। इसके बाद एक चौकी पर पीले रंग का कपड़ा लगा कर विष्णु जी की मूर्ति या तस्वीर को बैठा दें। फिर उनका जल से अभिषेक करें। उनको पुष्प, फल, चंदन, तुलसी दल, अक्षत्, पीले वस्त्र, धूप, दीप, पंचामृत आदि अर्पित करें । फिर विष्णु चालीसा और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें ।

पूजा के अंत में भगवान विष्णु की आरती जरूर करें। इसके बाद प्रसाद लोगों को वितरित करें। रात के समय में भगवत जागरण करें। फिर अगले दिन द्वादशी को प्रात:स्नान आदि करके पूजा करें। ब्राह्मणों को दान दें। इसके बाद अपना पारण करके व्रत को खत्म करें ।

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