UP Election में समाजवादी पार्टी इस बार अपने हर दाव को आजमा रही है। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कानपुर से अपनी चुनावी रथयात्रा की शुरूआत की। उससे पहले वो दिल्ली में सपा संरक्षक और अपने पिता मुलायम सिंह से आशीर्वाद भी लेने गये थे। जिसका वीडियो भी सपा के द्वारा जारी किया गया यानी इस बार अखिलेश हर वो दाव आजमा रहे हैं, जो उन्हें लखनऊ के कालीदास मार्ग के पंचम तल तक पहुंचा सके।
फूलन देवी की मां से लिया आशीर्वाद
इसी क्रम में अखिलेश यादव निषाद वोटों को अपने पाले में करने के लिए जुगत लगा रहे हैं। इसके लिए सपा अध्यक्ष ने जालौन जाकर फूलन देवी की मां मूला देवी से मुलाकात की और उनका आशीर्वाद लिया। दरअसल इस बार के विधानसभा चुनाव में फूलन देवी एक प्रमुख मुद्दे बनकर उभरने वाली हैं।
एक तरफ तो निषाद पार्टी फूलन देवी को अपने जाति गौरव से जोड़कर देख रही है। वहीं वह उनकी विरासत और निषाद वोटों पर भी अपना नैसर्गिक दावा ठोंक कर रही है।
यही नहीं फूलन देवी को अपने पार्टी का मूल आधार बताने वाली बिहार की विकासशील इंसान पार्टी भी फूलन को लेकर अपने दावे में तर्क दे रही है कि हर निषाद के घर में फूलन देवी की मूर्ति होनी चाहिए।
वहीं इस बात से परेशान समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव समाजवादी विजय यात्रा में बुधवार की शाम जालौन पहुंचे, जहां उन्होंने फूलन देवी की मां मूला देवी से मुलाकात की। यह पहली बार था जब अखिलेश यादव फूलन देवी के परिवार से मिले उनके आवास पर पहुंचे थे।
2022 में बनी सरकार तो CBI से कराएंगे फूलन हत्याकांड की जांच
अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी की ओऱ से फूलन देवी के परिवार को हरसंभव मदद का वादा किया साथ ही इस बात का भी आश्वासन दिया कि अगर 2022 में उनकी सरकार बनती है तो वह दिल्ली में हुई फूलन देवी की हत्या की सीबीआई से जांच करवाएंगे।
कौन हैं फूलन देवी
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने साल 1994 में बतौर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री फूलन देवी के खिलाफ मामले वापस ले लिए थे और साल 1996 में मुलायम सिंह ने समाजवादी पार्टी का टिकट देकर मिजार्पुर लोकसभा क्षेत्र से फूलन देवी को सांसद बनवाया और लोकसभा पहुंचवाया। उसके बाद फूलन देवी साल 1999 में दूसरी बार फिर लोकसभा के लिए चुनी गईं।
साल 2001 में कथिततौर पर शेर सिंह राणा के द्वारा फूलन देवी की उनके दिल्ली स्थित आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी गई। फूलन देवी का जन्म साल 1963 में जालौन जिले के घुरा का पुरवा गांव में हुआ था। वह निषाद समुदाय से ताल्लुक कऱती थीं।
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