UP Election: अखिलेश यादव की “समाजवादी विजय यात्रा” के जवाब में शिवपाल ने निकाली “सामाजिक परिवर्तन रथयात्रा”

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अखिलेश यादव मुलाय सिंह और शिवपाल यादव
अखिलेश यादव मुलाय सिंह और शिवपाल यादव

UP Election: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दिन जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहे हैं। लगभग सभी दल अपनी-अपनी सियासत की बिसात बिछाने में लग गये हैं। जो पिछली बार जीते थे, उनके सामने जीत को बरकरार रखने की चुनौती है और जो पिछली दफे विरोधियों से गच्चा खा गये थे उन्हें इस बार किसी भी हाल में जीत दर्ज करनी है। खैर, सत्ता का ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो जनता के वोटों से ही पता चलेगा लेकिन इतना तो तय है कि जीत किसी के लिए भी आसान नहीं होगी।

सत्ता की राह इतनी आसान नहीं होती। सियासत के जानकार कई किस्से बयां करते हैं कि पांच साल के तख्त के लिए न जाने कितनों की राजनीतिक रियासत लुट गई। वैसे अगर देखा जाए तो सत्ता के लिए संघर्ष की अवधारणा तो बहुत पुरानी है और इसमें लड़ाई की शुरूआत सबसे पहले अपने ही घर से होती है।

बिखर गया मुलायम का कुनबा

उत्तर प्रदेश की राजनीति में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के साथ मैदान में आमने-सामने खड़े हैं। इसे मुलायम सिंह का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि पूरे सूबे में पिछड़ी जाति और खासकर यादवों को एक खूटें से बाधने के बावजूद वो अपने परिवार को नहीं बांध पाये।

शिवपाल यादव का आरोप है कि डॉक्टर (रामगोपाल यादव) ने पूरे परिवार को तोड़ दिया वहीं अखिलेश यादव आरोप का ठीकरा दिवंगत अंकल अमर सिंह पर फोड़ते हैं।

चाचा-भतीजा आमने-सामने सवार हैं रथ पर

इसी का नतीजा है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज उत्तर प्रदेश के कानपुर से “समाजवादी विजय यात्रा” का आगाज कर दिया है। वहीं उनके चाचा शिवपाल यादव ने भी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी की “सामाजिक परिवर्तन रथयात्रा” की शुरुआत कृष्ण की नगरी मथुरा से की।

इसमें सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि दोनों चाचा-भतीजे ने रथयात्रा के लिए एक दिन का चुनाव किया। ऐसा लगता है कि दोनों का मुकाबला भाजपा, बसपा औऱ कांग्रेस से न होकर एक दूसरे से है। अखिलेश यादव की रथयात्रा कानपुर से होते हुए बुंदेलखंड के चार जिलों में जाएगी। अखिलेश के रथ पर पिता मुलायम सिंह की तस्वीर के साथ-साथ आजम खान और रामगोपाल यादव की भी तस्वीर लगी है।

वहीं शिवपाल यादव ने भी अपनी रथ पर मुलायम सिंह की फोटो लगाई है। शिवपाल की रथयात्रा मथुरा से शुरू होकर आगरा, इटावा, औरया, कानपुर देहात, झांसी, महोबा, फतेहपुर, प्रयागराज होते हुए आखिरी चरण में 27 नवंबर को रायबरेली में खत्म होगी।

शिवपाल पड़े अखिलेश के पीछे, अखिलेश पड़े योगी के पीछे

शिवपाल यादव अपने भतीजे की पार्टी के साथ चुनाव में गठबंधन का सपना पाल रहे थे लेकिन अखिलेश यादव ने चुपके से कन्नी काट ली। जिसके बाद शिवपाल यादव खफा हैं और इस चुनाव की तुलना महाभारत के युद्ध से कर रहे हैं। वहीं अखिलेश यादव चाचा की राजनीति से दूर बीजेपी पर निशाना साध रहे हैं।

अखिलेश यादव बीजेपी पर मां गंगा को धोखा देने का आरोप लगा रहे हैं और योगी सरकार को अक्षम बता रहे हैं। इस चुनाव में अखिलेश यादव को भरोसा है कि उनका यादव और मुस्लिम वोटबैंक एकमुश्त उन्हें वोट देगा। जिसकी सहायता से वह यूपी की सत्ता से योगी आदित्यनाथ की विदाई करा पाएंगे।

अब देखना दिलचस्प यह होगा कि चाचा-भतीजे जो अपनी रथयात्रा में मुलायम सिंह यादव की तस्वीर लगाकर चल रहे हैं, जनता इनमें से किसे मुलायम सिंह का वारिस मानती है। लेकिन इस चुनाव के परिणाम से एक बात तो साफ हो जाएगी कि चाचा-भतीजे में कोई एक ही मुलायम सिंह का असली उत्तराधिकारी बनेगा।

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